क्या आपके वॉर्डरोब में भी ऐसे कपड़ों और एक्सेसरीज़ का अंबार लगा है, जिसे आप साल में एक या दो बार ही पहनती हैं? दरअसल, फास्ट फैशन के इस दौर में कपड़ों की बर्बादी बड़े पैमाने पर पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचा रही है। ऐसे में पर्यावरण को बचाने के लिए गोवा में अनोखा क्लोदिंग स्वैप अभियान चल रहा है।
क्या है क्लॉथ स्वैप इवेंट?
एक ऐसा आयोजन जहां आप अपने इस्तेमाल न होने वाले कपड़े, बैग आदि लेकर जाते हैं और जितने कपड़े आप वहां ले जाते हैं, बदले में वहां से उतने ही ले सकते हैं यानी बार्टर सिस्टम (वस्तु विनिमय)। इससे होगा यह है कि कपड़ों की बर्बादी नहीं होगी और पर्यावरण बचा रहेगा। दरअसल, एक कपड़े को बनाने में कई लीटर पानी और कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल होता है। कपड़े, कॉस्मेटिक्स आदि को जब फेंका जाता है या जलाया जाता है, तो उनसे निकलने वाला केमिकल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। क्लॉथ स्वैप के ज़रिये आप अपने बेकार पड़े कपड़ों के बदले दूसरे कपड़े ले सकते हैं और आपके कपड़े कोई और ले सकता है इस तरह उनका सही इस्तेमाल हो जायेगा।

फैशन इंडस्ट्री से पर्यावरण प्रदूषण
इकोवॉच के अनुसार तेल के बाद फैशन इंडस्ट्री दूसरी सबसे बड़ी इंडस्ट्री है, जो दुनिया को नष्ट कर रही है। ऐसे में पर्यावरण को बचाने के लिये लोगों को जागरुक करना ज़रूरी है और सुनीता नारायण और दत्तप्रसाद शेटकर वही कर रहे हैं। दोनों ने गोवा के साधना डेल आर्टे में क्लॉथ स्वैप इवेंट ऑर्गनाइज़ किया, जहां डंगरी से लेकर, डेनिम, क्रॉप टॉप, मिडी, वनपीस ड्रेस, बैग्स आदि सबकुछ था। यहां कोई भी इंसान आकर कपड़े या अन्य सामान की अदला-बदली कर सकता है, इससे दोहरा फायदा होगा। एक तो उस इंसान को और दूसरा पर्यावरण को जिसे बेकार कपड़ों की गंदगी की बचाया जा सकता है।
क्लॉथ स्वैपिंग की बढ़ती लोकप्रियता
गोवा से पहले जून 2015 में बेंगलुरु में क्लॉथ स्वैपिंग आयोजित किया गया था। इसके बाद दिसंबर 2017 में ऐसा ही इवेंड ऑर्गनाइज़ किया था। दुनिया भर में अब कपड़ों की अदला-बदली का बाज़ार इतना बढ़ गया है कि इससे संबंधित वेबसाइट्स भी बनाई जा रही है। यकीनन कपड़ों की बर्बादी रोकने और पर्यावरण बचाने की दिशा में कपड़ों की स्वैपिंग एक सराहनीय कदम है।
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