शुक्रवार को ही क्यों मनाते हैं गुड फ्राइडे

शुक्रवार को ही क्यों मनाते हैं गुड फ्राइडे

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प्रेम और मानवता का संदेश देने वाले ईसाइयों के आराध्य जीसस क्राइस्ट (ईसा मसीह) की याद में गुड फ्राइडे मनाया जाता है। ईसाई धर्म में इस त्योहार का बहुत महत्व है, लेकिन बाकी त्योहारों की तरह इस दिन खुशियां नहीं मनाई जाती, बल्कि जीसस के सूली पर चढ़ने के दर्द को याद किया जाता है।

क्यों मनाया जाता है?

गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्‍लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहा जाता है। बाइबल के मुताबिक, इसी दिन ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था। उन्हें सूली पर लटकाने से पहले बहुत प्रताड़ित किया गया। इसके बावजूद ईसा मसीह ने अपने हत्यारों के लिए प्रार्थना की थी और कहा था, ‘हे ईश्‍वर! इन्‍हें क्षमा कर देना क्‍योंकि ये नहीं जानते कि ये क्‍या कर रहे हैं।’ दरअसल, ईश्वर की संतान कहे जाने वाले ईसा मसीह धर्म के नाम पर फैलाये जा रहे अंधविश्वास के खिलाफ थे। वह लोगों को शांति का संदेश देते थे, जो उस वक़्त के धर्मगुरुओं को रास नहीं आया और उन्हें धर्म विरोधी करार देते हुए सूली पर टांगने का आदेश दे दिया गया। सूली (क्रॉस) पर टांगने से पहले उन्हें कांटों का ताज पहनाया गया और बहुत प्रताड़ित किया गया। जिस दिन ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था, उस दिन को गुड फ्राइडे के रूप में मनाते हैं।

शुक्रवार को ही क्यों मनाते हैं गुड फ्राइडे
मानवता के लिये बलिदान  | इमेज: फाइल इमेज

शुक्रवार को ही क्यों मनाते हैं?

जीसस को शुक्रवार के दिन क्रॉस पर टांगा गया था और क्रॉस पर लटकाने के तीन दिन बाद यानी रविवार को ईसा मसीह फिर से जिंदा हो जाते हैं, इसलिए गुड फ्राइडे के बाद वाले रविवार को ईस्टर संडे कहा जाता है। इस दिन चर्च में एकत्रित होकर जीसस को याद करते हैं।

क्या करते हैं इस दिन?

चूंकि गुड फ्राइडे के दिन ईसा मसीह को सूली पर लटकाया गया था, इसलिए इस दिन ईसाई धर्म को मानने वाले लोग चर्च में जाकर उनकी याद में प्रार्थना करते हैं, उपवास रखते हैं। रात के समय जीसस की फोटो लेकर कुछ लोग पद यात्रा भी करते हैं। इस दिन चर्च और घरों से सजावट के सामान हटा लिया जाता हैं या फिर उन्हें कपड़े से ढ़क दिया जाता है। जीसस को दिये दर्द को याद करके लोग इस दिन शोक प्रकट करते हैं, इस दिन चर्च में घंटी भी नहीं बजाई जाती है।

जीसस क्राइस्ट ने निःस्वार्थ प्रेम और मानवता का संदेश दिया, जिसे आज की तारीख में भी सबको अपनाने की ज़रूरत है।

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