कहानीः मंज़िल तक पहुंचाया एक अंजान ने
एक बड़े अखबार में रिपोर्टर होने के नाते खबरों की तलाश में *रेनू को मुबंई के एक कोने से दूसरे कोने में घूमना ही पड़ता है। इसके बाद रिपोर्ट फाइल करके घर के लिए निकलने में अक्सर उसे देर रात हो ही जाती है। हालांकि कई बार उसके साथ ऑफिस के साथी होते है पर कभी कभी रेनू को अकेले भी ट्रैवल करना पड़ता है। हज़ारों मुबंईकरों की तरह मुबंई की ‘लाइफ लाइन’ कही जाने वाली लोकल ट्रेन उसका भी सहारा है। एक दिन देर तक काम करके रेनू ऑफिस से अकेले निकली और रोज़ की तरह अपने घर के […]