कोमल हैं, कमज़ोर नहीं
एक महिला कभी भी अपने बच्चों को अनपढ़ नहीं देखना चाहती और बच्चों को पढ़ाने की चाहत और भी मज़बूत हो जाती है, अगर वह खुद पढ़ी-लिखी हो। एक तरफ जहां सारी दुनिया की महिलाएं पुरूषों से कदम मिला कर चल रहीं हैं, या फिर कहा जाए कि उनसे एक कदम आगे चल रहीं हैं, क्योंकि काम के साथ, घर और बच्चों कि ज़िम्मेदारी औरतों की ज्यादा मानी जाती है। वहीं दूसरी ओर ऐसी भी महिलाएं हैं, जिन्हें आज भी पढ़ने नहीं दिया जाता। उन्हें पुरानी सामाजिक रीति-रिवाज़ों और धार्मिक प्रथाओं के बोझ के नीचे दबाकर कमज़ोर घोषित कर दिया […]