अध्यात्म को अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कैसे शामिल करें?

अध्यात्म को अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कैसे शामिल करें?

अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में छोटे-मोटे बदलाव और अपनी सोच को बदलकर आप जीवन को और बेहतर बना सकते हैं।
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ज़िंदगी तो सभी जीते हैं, लेकिन अर्थपूर्ण जीवन बहुत कम लोगों का होता है। यदि आप भी अपनी ज़िंदगी को अर्थपूर्ण बनाकर इसे अध्यात्म से जोड़ना चाहते हैं तो यह छोटे-छोटे काम करें।

खुद से और दूसरों से प्रेम

कोई इंसान परफेक्ट नहीं होता, लेकिन खास ज़रूर होता है। इसलिए अपने आप से प्यार करिए, अपनी देखभाल करिए और प्रेम की यही भावना औरों के लिए भी रखिए। जब आपके मन में प्यार रहेगा तो आपको अपने आसपास सब सुंदर लगने लगेगा।

गहरी सांस

अध्यात्मिकता का मतलब है मन की शांति और मन की शांति के लिए ज़रूरी है लंबी गहरी सांस और उस पर ध्यान केंद्रित करना क्योंकि इससे ही मन एकाग्रचित होता है। तो जब भी किसी बात पर गुस्सा आने लगे तो किसी शांत जगह पर जाकर बैठ जाएं और आंखें बंद करके लंबी गहरी सांस लें। इस दौरान आपका पूरा ध्यान बस सांसों पर ही होना चाहे। गहरी सांस लेकर 5-6 की गिनती तक रुकें फिर धीरे-धीरे छोड़ें। ऐसा कई बार करें, यह बेहतरीन मेडिटेशन है।

वर्तमान में जिएं

अपने दिमाग को बीते और आने वाले कल में न घूमने दें, क्योंकि उस पर आपको कोई काबू नहीं होता है। आप बस अपने वर्तमान समय में बदलाव कर सकते हैं, इसलिए वर्तमान में जीना सीखिए।

बाहर की खुली हवा में सैर

सुबह या शाम जब भी समय मिले कुछ समय कुदरत के साथ बिताएं। हरे-भरे पेड़-पौधों के बीच चलना या हरी खास पर कुछ पल शांति के पल बिताना मन को बहुत सुकून देता है।

प्रकृति की शांति को खुद में महसूस करना
प्रकृति की शांति को खुद में महसूस करना | इमेज : फाइल इमेज

दूसरों की मदद

अपनी मर्जी से दूसरों की मदद करना आपको आध्यात्मिकता की ओर ले जाता है। किसी की मदद करके दिल को सुकून का एहसास होता है। यही नहीं दूसरों की मदद करके आप अपनी ही मदद करते हैं, क्योंकि आप जितने ज़्यादा लोगों की मदद करते हैं आपकी ज़रूरत के समय उतने ज़्यादा लोग आपकी मदद के लिए आगे आएंगे।

आभार जताना

एक डायरी बनाएं और हर दिन आप जिस चीज़ के लिए भी आभारी महसूस करते हैं उसे लिखें। इससे आपको पता चलेगा कि आपके लिए क्या महत्वपूर्ण है और किस चीज़ से आपको सबसे ज़्यादा खुशी मिलती है।

माफ करना सीखें

आध्यात्मिक बनने के लिए आपको कोई खास किताब पढ़ने या अलग से कुछ करने की ज़रूरत नहीं है, दूसरों को गलतियों को माफ कर उन्हें साफ मन से स्वीकारना सीखकर भी आप आध्यात्मिक रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं।

धैर्य रखना अध्यात्म को अपनाने का मतलब है खुद को और बेहतर इंसान बनाना और इसके लिए हर परिस्थिति में धैर्य बनाए रखना बहुत ज़रूरी है।

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