“दुख चाहे कितना भी बड़ा हो, महिलायें हमेशा इसका सामना हंसकर करती है।“
चाहे कोई कुछ भी कहें, लेकिन सच्चाई यही है। महिलायें जब ठान लेती हैं, तो वह कुछ भी कर सकती है। ऐसे कई उदाहरण है, जिसमें लड़कियों ने इस बात को साबित भी किया है। इसके बावजूद लड़कियों को समाज में वह जगह नहीं मिल पाई है, जिसकी वह हकदार है। उनके अधिकार व सम्मान दिलाने के लिये ही हर साल 11 अक्टूबर को इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे मनाया जाता है।
आज भी समाज ने उन्हें किस तरह की रूढ़िवादी सोच में जकड़ा है, जिससे निकलना बहुत ज़रूरी है।
पीरियड्स
अचानक एक दिन उसे महसूस होता है कि उसके कपड़े खराब हो गये हैं, लेकिन उसे समझ नहीं आता कि आखिर उसके साथ ऐसा क्या हो रहा है। इसका कारण है, आज भी मां अपनी बेटी को पीरियड्स के बारे में परहेज़ करती है। गांव देहात में आज भी मां बेटियों को इसकी शिक्षा नहीं देती और इस बारे में बात करने से भी बचती है।
बदले सोच
मां को ये समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि यह प्राकृतिक प्रक्रिया है और अपनी बेटी को इस बारे समझाने से बेटी के लिये इस दौर में आ रहे शारीरिक बदलावों को समझना आसान हो जायेगा।

आत्म सम्मान
जब लड़कियां टीनेज या युवा होने लगती है, तो उनके रंग रूप की तुलना दूसरों से की जाती है। ऐसे में कई बार टैलेंट्ड लड़कियां भी अपनी अपीयरेंस और वज़न को लेकर खुद को कमतर समझने लगती हैं। इससे उनमें हीन भावना घर कर जाती है।
बदले सोच
– बेटी के रंग रूप की बजाय उसके काम को प्रोत्साहित करें। उन्हें ऐसी महिलाओं की कहानियां सुनायें, जिन्होंने अपने दम पर समाज और खुद के लिया कुछ किया हो।
– कभी किसी से उसकी तुलना न करें।
शादी
जैसे ही बेटी बड़ी होने लगती है, पैरेंट्स को उनकी शादी की टेंशन होने लगती है। बेटी के लिये ‘अच्छा घर’ ढ़ूंढने की बजाय उनकी पढ़ाई पूरी करवायें और उन्हें आत्मनिर्भर बनायें। हमेशा बेटियों को पढ़ने के लिये प्रेरित करिये।

बच्चे
महिला को तब तक संपूर्ण नहीं माना जाता, जब तक वह मां नहीं बनती। एक ज़माने पुरानी इस सोच के अब कोई मायने नहीं रह गये हैं। पैरेंट्स और समाज को इस सोच से निकलकर महिलाओं को उनके मनमुताबिक करने की आज़ादी देनी चाहिये।
मेनोपॉज़
उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं को इस पड़ाव से भी गुज़रना पड़ता है। बस ऐसे में ज़रूरत है, सही जानकारी और अपनों के साथ की।
ऐसी परेशानियों का हल चर्चा करके और खुद के हौसलें को बुलंद करके ही निकाला जा सकता है। इस खास मौके पर एथलीट मैरी कॉम की एक बात यहां बिल्कुल सटीक बैठती हैं-
“किसी को भी मत कहने दो कि तुम कमज़ोर हो क्योंकि तुम एक औरत हो |”
और भी पढ़िये : लोगों से जुड़ने में मदद करती है 7 बातें
अब आप हमारे साथ फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर पर भी जुड़िये।
 
    
 
															 
					 
					 
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
                     
									 
									 
									 
									 
													 
 
								