इंडियन नेवी की पहली महिला पायलट बन शिवांगी स्वरुप ने रचा इतिहास

इंडियन नेवी की पहली महिला पायलट बन शिवांगी स्वरुप ने रचा इतिहास

बेटी ने बढ़ाया देश का मान
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‘हम भी उड़ सकते हैं आसमान में एक मौका तो दो,

छू सकते हैं गंगन की ऊंचाइयों को पंख फैलाने के लिए दायरा तो दो।’

बिहार के मुजफ्फरपुर की शिवांगी स्वरुप, जिसे जब आसमान में उड़ने का मौका मिला, तो उन्होंने इतिहास रच दिया। बचपन के सपने को पूरा करते हुए सब लेफ्टिनेंट शिवांगी भारतीय नौसेना की पहली महिला पायलट बन गई हैं। शिवांगी ने इस बात को सच कर दिखाया है कि यदि लड़कियों को मौका दिया जाए, तो गंगन की ऊंचाइयों को छूकर परिवार और देश का मान बढ़ा सकती हैं।

शिवांगी बनी पहली नेवी पायलट

27 साल की शिवांगी स्वरुप नौसेना के फ़िक्स्ड विंग ड्रोनियर सर्विलांस एयरक्राफ़्ट की कमान संभालेंगी। शिवांगी अब नेवी ऑपरेशन्स में ड्यूटी कर सकेंगी। एडवांस सर्विलांस राडार, इलेक्ट्रॉनिक सेंसर और नेटवर्किंग से लैस इस ड्रोनियर एयरक्राफ़्ट का इस्तेमाल समुद्र में कम दूरी के रेस्कयू ऑपरेशन्स और पेट्रोलिंग के लिए किया जाता है।

एसएसबी के जरिए हुआ सिलेक्शन

शिवांगी ने 2010 में डीएवी पब्लिक स्कूल से सीबीएसई 10वीं और साइंस स्ट्रीम से 12वीं करने के बाद इंजीनियरिंग की है। एमटेक में एडमिशन लेने के बाद उन्होंने एसएसबी की परीक्षा दी और नेवी में सब लेफ्टिनेंट के रूप में उनका सिलेक्शन हो गया। एक इंटरव्यू के दौरान शिवांगी ने बताया कि जब वह इंजीनियरिंग के चौथे साल में थी तब इंडियन नेवी, यूनिवर्सिटी एंट्री स्कीम के तहत प्रेज़ेंटेशन देने के लिए उनकी यूनिवर्सिटी में आई थी। उस वक्त इंडियन नेवी के ऑफिसर्स को यूनिफॉर्म में देखकर शिवांगी बहुत आकर्षित हुई और उसी वक्त उन्होंने नेवी जॉइन करने का सोचा।

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महिला पायलट की पहली उड़ान |इमेज : ट्विटर

चुनौतियां पसंद हैं

जाहिर है नेवी की पहली महिला पायलट बनना शिवांगी के लिए किसी सपने के सच होने जैसा है। शिवांगी का कहना है कि उन्होंने अपनी ज़िंदगी में कुछ अलग और चुनौतीभरा करने का सोचा था। साथ ही उन्हें लगता है कि उन्हें भारतीय नौसेना में बहुत एक्सपोजर मिलेगा।

पहली सोलो उड़ान में लगा था डर

आत्मविश्वास से भरी शिवांगी को एक इंटरव्यू के दौरान ट्रेनिंग के दौरान अपना पहला सोलो फ्लाइंग अनुभव शेयर करते हुए बताया कि शुरू में तो कई इंस्ट्रक्टर साथ रहते हैं, लेकिन फिर पायलट को अकेले ही उड़ान भरनी पड़ती है। जब मुझे पहली बार सोलो उड़ान भरने के लिए कहा गया तो दिमाग में कई तरह की उलझने थीं जिससे मैं डरी हुई थी, लेकिन मैंने टेक ऑफ किया और जब सेफली लैंडिंग करा दी तो मेरा डर दूर हो गया और आत्मविश्वास बढ़ गया।

और लड़कियां जुड़े सेना से

पिछले कुछ समय से सेना में कई लड़कियों को कमिशन मिल चुका है, लेकिन अभी भी यह संख्या बेहद कम है। सब लेफ्टिनेंट शिवांग स्वरुप चाहती हैं कि और लड़कियां नेवी, आर्मी और एयरफोर्स जॉइन करें और आगे बढ़े।

शिवांगी स्वरुप जहां भारतीय नौसेना की पहली महिला पायलट हैं, वहीं भारतीय वायुसेना की पहली महिला पायलट बनने का गौरव प्राप्त है भावना कांत को।

इमेज : ट्विटर

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