आप अक्सर पढ़ते होंगे कि दूसरों को खुशी पहुंचाकर खुद को सुकून मिलता है। यह महज़ एक कहावत नहीं है क्योंकि कई बार आपका छोटा सा कदम दूसरों की दुनिया में खुशियां भर देता है और मुस्कुराते चेहरों को देख कर आपके दिल को ठंडक पहुंचती है। अपने दिल को सुकून पहुंचाने के लिए कोलकाता के पाथिकृत साहा काम के बीच कुछ ऐसा करते हैं, जिससे बच्चे खुशी से झूम उठते हैं।
पाथिकृत को देख कर नाचने लगते हैं बच्चे
दरअसल, पाथिकृत कोलकाता में एक ऑनलाइन फूड कंपनी में एक्ज़िक्यूटिव के तौर पर काम करते हैं। अक्सर जब ऑनलाइन बुक किये गये फूड ऑर्डर्स कैंसल कर दिये जाते हैं, तो उस खाने को अपने घर ले जाने की बजाय वह आसपास के ज़रूरतमंद बच्चों को दे देते हैं। उनके इस छोटे से कदम से कई ज़रूरतमंदों का पेट भर जाता है।

ज़रूरतमंद बच्चों के लिए छोड़ी अपनी जॉब
पाथिकृत पहले कोलकाता म्यूनिसीपल कॉर्पोरेशन में काम करते थे, लेकिन ज़रूरतमंद बच्चों के लिए समय न निकाल पाने के कारण उन्होंने अपनी वह जॉब छोड़ दी। अब उनके पास बच्चों के लिए काम करने का पूरा समय होता है और वह घर चलाने के लिए ऑनलाइन कंपनी में डिलिवरी एक्ज़िक्यूटिव की नौकरी कर रहे हैं। जिन होटलों से उन्हें डिलिवरी पिक करनी होती है, उनमें से एक होटल के मालिक का साथ उनकी जान-पहचान बढ़ी। इसके बाद उसने पाथिकृत के इस नेक काम में साथ देने के लिए कदम बढ़ाया। अब पाथिकृत कैंसल ऑर्डर्स के साथ-साथ उस होटल का सारा बचा हुआ खाना हर शाम अपने एनजीओ (हेल्प फाउंडेशन) के बच्चों के लिए ले जाते हैं। बच्चे उसे ‘रोल अंकल’ के नाम से बुलाते हैं। उस होटल के मालिक (अपनी पहचान नहीं बताना चाहते), कभी-कभी बच्चों के लिए दावत का आयोजन भी करते हैं।
खाना ही नहीं, पाथिकृत ज़रूरतमंद बच्चों के लिए किताबें, स्टेशनरी और कपड़ों का भी इंतज़ाम करते हैं। उम्मीद है कि दूसरे लोग भी इस तरह आगे आकर समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभायेंगे।
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