खिलाड़ी जिन्होंने कभी हार नहीं मानी-II

खिलाड़ी जिन्होंने कभी हार नहीं मानी-II

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पिछले लेख में कुछ ऐसे खिलाड़ियों के बारे में बताया, जिन्होंने अपने संघर्षों को पार करके नया इतिहास रचा था। इस लेख में कुछ और खिलाड़ियों की बात करते हैं, जो मुश्किलों के बावजूद अपने सपनों के पीछे भागे।

पीवी. सिंधु-

भारत की स्टार बैडमिंटन प्लेयर, जिन्होंने हाल ही में बैंडमिटन की वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रचा है। ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय खिलाड़ी है। इससे पहले सिंधु ने इसी चैंपिनयशिप में ब्रॉन्ज और सिल्वर मेंडल जीता था। इस साल उन्होंने गोल्ड मेडल जीतकर साबित कर दिया कि कठिन परिश्रम और लगन से हर असंभव को संभव किया जा सकता है।

PV. Sindhu
कोशिशें रंग लाई |इमेज : फेसबुक

पीवी सिंधु सिखाती हैं कि हारने के बाद फिर से उठना और जीतने तक बार-बार कोशिश करते रहना ज़रूरी है। सिंधु ने 2016 के ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतर सनसनी मचा दी थी।

दीपा करमाकर-

किसी ने सच ही कहा है, हार-जीत से ज़्यादा मायने रखता है किसी चीज़ में अपनी पूरी ताकत झोंक देना। तभी तो 2016 के ओलंपिक खेलों में हार के बावजूद दीपा ने लोगों का दिल जीत लिया था। त्रिपुरा की जिमनास्ट दीपा करमाकर ने 2016 के ओलंपिक के फाइनल में प्रवेश करके ही इतिहास बना दिया था क्योंकि वॉल्ट स्पर्धा के फाइनल में जगह बनाने वाली वह पहली भारतीय खिलाड़ी थीं।

Deepa Karmakar
कोशिशें रंग लाई | इमेज : फेसबुक

हालांकि फाइनल मुकाबले में मामूली अंतर की वजह से वह ब्रॉन्ज मेंडल से चूक गई थीं और चौथे स्थान पर रही। बावजूद इसके उन्होंने जिस ईमानदारी और मेहनत से गेम खेला, हर कोई उनका मुरीद हो गया। ज़िंदगी में हार मिले या जीत इसकी परवाह किये बिना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है कि हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते रहें।

उमेश कुमार यादव-

एक कोयला मज़दूर के बेटे से टीम इंडिया के स्टार खिलाड़ी बनने तक का उमेश यादव का सफर आसान नहीं था। गरीब परिवार में जन्मे उमेश क्रिकेट की दुनिया में आने से पहले आर्मी और पुलिस में नौकरी पाना चाहते थे। पर दोनों ही जगह से वह रिजेक्ट कर दिये गये क्योंकि किस्मत को तो कुछ और ही मंज़ूर था, फिर उमेश ने क्रिकेट खेलना शुरू किया। शुरुआत में वह टेनिस बॉल से बॉलिंग किया करते थे, उनकी बॉलिंग की स्पीड बहुत ज़्यादा होती थी।

umesh kumar yadav
कोशिशें रंग लाई | इमेज : फेसबुक

उमेश को जब कहीं नौकरी नहीं मिली तो वह घरेलू स्तर पर विदर्भ टीम की ओर से खेलने लगें। दो साल के अंदर ही उनकी प्रतिभा रंग लाई और 2010 में उन्हें टीम इंडिया की तरफ से वनडे और टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला। उनकी गिनती अब टीम इंडिया के बेहतरीन खिलाड़ियों में होती है।

खिलाड़ियों से मिलती है जीवन के प्रति सोच सही करने की प्रेरणा

– बार-बार हारकर भी सफलता पाई जा सकती है, बस कोशिश करना बंद न करें।

– हार का मतलब अंत नहीं होता, बल्कि सबक सीखकर नई शुरुआत करना होता है।

– अपने सपने को पूरा करने के लिए ज़िद्द और जूनून दोनों होना ज़रूरी है।

और भी  पढ़िये : राष्ट्रीय खेल दिवस- खिलाड़ी जिन्होंने कभी हार नहीं मानी

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