मर्द कभी रोते नहीं है, मर्द डोले-शोले वाले ही अच्छे लगते हैं, पुरुषों के लिए आर्थिक मसले हल करना बहुत आसान होता है, वह कभी महिलाओं की तरह मेकअप नहीं करते….
बरसों से पुरुषों की एक खास छवि बनी हुई है और अधिकांश लोगों को लगता है कि पुरुष ऐसे ही होते हैं, तभी तो दिल टूटने या दुखी होने पर यदि कोई लड़का आंसू बहाने लगे तो उससे कहा जाता है, क्या लड़कियों की तरह रो रहे हैं, मगर धीरे-धीरे ही सही पुरुष भी अपनी स्टीरियोटाइप छवि से बाहर निकल रहे हैं।
भावनाएं जाहिर करना कमज़ोरी
पुरुष भी इंसान है उन्हें भी किसी बात से ठेस पहुंचती है, दुख होता है, तो अपनी भावनाएं ज़ाहिर करके मन का गुबार निकाल देना चाहिए। हालांकि कम पुरुष ही ऐसा कर पा रहे हैं, क्योंकि हमारे समाज में हमेशा से कहा जाता रहा है कि पुरुष बहुत मज़बूत होते, इसी वजह से बहुत से पुरुष अपनी भावनाएं ज़ाहिर नहीं कर पाते। हालांकि बदलते वक्त के साथ कुछ पुरुष भी बदलें है और महिलाओं की तरह ही अपने इमोशनल व्यक्त करने में उन्हें कोई बुराई नज़र नहीं आती। पेशे से इंजीनियर राहुल का कहना है, “अरे भई हम भी तो इंसान है, तो दुखी होने पर अपने इमोशन क्यों न जाहिर करें। इससे हमारा तनाव कम हो जाता है। जहां तक मुझे लगता है भावनाओं को मर्दानगी से जोड़कर देखना सही नहीं है।”
बॉडी बिल्डर होना चाहिए
आमतौर पर माना जाता है कि सच्चा मर्द वही होता है जिसके डोले-शोले यानी रफ एंड टफ बॉडी हो, क्योंकि यह उनके मजबूत व्यक्तित्व को दर्शाता है। आज के ज़माने के नौजवानों को यह पुराना फंडा बहुत पसंद नहीं है। कॉलेज स्टुडेंट अनिल कहते हैं, “आजकल बॉड़ी बनाने से ज़्यादा ज़रूरी है स्वस्थ और फिट रहना।”
आर्थिक मामले आसानी से समझते है
महिलाएं आर्थिक मामलों में थोड़ी कच्ची होती है, लेकिन पुरुष इसमें परफेक्ट होते हैं, यह सोच भी गुज़रे ज़माने की बात हो चुकी है। आज के ज़माने में बहुत से ऐसे परिवार है, जहां महिलाएं घर के आर्थिक मामले देखती है। आजकल बहुत से पुरुषों को कुकिंग, फैशन जैसे प्रोफेशनल लुभा रहे हैं। अगर आप यूट्यूब पर कुकिंग संबंधी वीडियो देखते होंगे तो आपने भारत किचन (Bharatz Kitchen) का नाम सुना होगा। भारत को कुकिंग का इतना शौक था कि उसने इसे ही करियर बना लिया और उनका चैनल बहुत लोकप्रिय भी है।
मेकअप नहीं कर सकते
मेकअप को हमेश से महिलाओं का ही पर्याय माना गया है, लेकिन अब ज़माना बदल रहा है, तभी तो टीवी पर सिर्फ महिलाओं ही नहीं पुरुषों के लिए भी कई ग्रूमिंग प्रोडक्ट्स के विज्ञापन आ रहे हैं। दरअसल, मेकअप करने का मकसद होता है अंदर से खुद को प्यार करना और पॉजिटिव महसूस करना। जब आप अच्छे दिखते हैं तो आत्मविश्वास भी बढ़ता है, ऐसे में यदि कोई पुरुष मेकअप करके पॉजिटिव महसूस करता है, तो मेकअप करने में कोई बुराई नहीं है। वैसे भी ग्लैमर इंडस्ट्री में तो महिलाओं के साथ ही अच्छा दिखने के लिए पुरुषों का भी मेकअप किया जाता है। अंकुश बहुगुणा, जेसन अरलैंड और शक्ति सिंह यादव जैसे कुछ युवा सोशल मीडिया पर अपनी मेकअप वाली फोटो डालकर स्टीरियोटाइप को तोड़ रहे हैं।
मर्द घर के काम नहीं करते
सदियों से खाना बनाने से लेकर बर्तन धोने और साफ-सफाई जैसे घर के काम महिलाओं के ही हिस्से रहे हैं। हमारे समाज में आम धारणा है कि पुरुष घर के काम नहीं कर सकते। मगर आज आपको अपने आसपास ऐसे बहुत से पुरुष दिख जाएंगे जो किचन में पत्नी का हाथ बंटाते हैं। खासतौर पर कोरोना महामारी ने तो पुरुषों को किचन के और करीब ला दिया है और आज के युवाओं को किचन के काम करने में कोई शर्मिंदगी महसूस नहीं होती।
वक्त के साथ हर चीज़ बदलती रही है, ऐसे में भारतीय पुरुष भी अपनी पारंपरिक छवि को तोड़कर आगे बढ़ रहे हैं।
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