समुद्री किनारों की सफाई के लिये अपनाई अनोखी पहल

समुद्री किनारों की सफाई के लिये अपनाई अनोखी पहल

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फुर्सत के चंद सुकून भरे पल बिताने के लिए बीचेस यानी समुद्री किनारे बेहतरीन जगह है। शाम के वक्त समुद्र के पानी में खड़े होकर ढलते सूरज का नज़ारा देखना हो या समुद्र किनारे बैठकर ठंडी हवा का आनंद लेना… ये आपको एकदम तरोताज़ा कर देते हैं। पर सोचिये अगर कोई पानी की बोतल या प्लास्टिक या कचरा आपके पैरों से टकरा जाये, तो  आनंद का सारा मज़ा किरकिरा हो जाता है।

समुद्री किनारों की सफाई की अनोखी पहल की है, 26 साल की गरिमा पूनिया ने, जो अंडमान के बीचेस पर सफाई अभियान चला रही हैं।

ताकि बनी रहे खूबसूरती

खूबसूरत समुद्री किनारे न सिर्फ घूमने के लिए बेहतरीन होते हैं, बल्कि समुद्र सैंकड़ों जीवों का घर भी होता है। पानी में लगातार बढ़ते प्रदूषण और कचरे से इन जीवों का जीवन भी संकट में पड़ता जा रहा है। आमतौर पर लोग बीचेस की सैर पर तो जाते हैं, लेकिन वहां बढ़ती गंदगी को साफ करने का विचार गरिमा पूनिया जैसे चंद जागरुक लोगों को ही आता है। गरिमा 2017 में अंडमान के एक छोटे से द्वीप पर छुट्टियां मनाने गई थीं, लेकिन वहां समुद्री किनारों पर फैले कचरे ने उन्हें परेशान कर दिया। आखिरकार गरिमा ने समुद्री किनारों की सफाई की पहल की ताकि उनकी खूबसूरती बनी रहे।

समुद्री किनारों की सफाई के लिये अपनाई अनोखी पहल
समुद्री किनारों की सफाई है ज़रूरी  | इमेज: फाइल इमेज

बीचेस की सफाई

गरिमा ने पिछले साल अक्टूबर से अपना सफाई अभियान शुरू किया और इसका नाम रखा, पूनिया का कचरेवाला प्रोजेक्ट। इसके तहत वह नील के पांच बीचेस से 250 किलो कचरा अलग कर चुकी हैं। इतना ही नहीं आम लोगों से लेकर होटल मालिकों तक को कचरे को अलग-अलग रखने के लिए वर्कशॉप का भी आयोजन किया। दरअसल, समुद्र में फेंके जाने वाले कचरे खासतौर से प्लास्टिक की वजह से समुद्री जीवों का जीवन खतरे में पड़ जाता है।

गरिमा के मुताबिक, अंडमान में भी करीब 1000 समुद्री जीवों की अलग-अलग प्रजातियां रहती हैं, जिसे बचाने के लिए समुद्र को साफ रखना ज़रूरी है और यह तभी होगा जब लोग वेस्ट मैनेजमेंट के प्रति जागरुक होंगे।

समुद्री किनारों की सफाई के लिये अपनाई अनोखी पहल
समुद्री किनारों की सफाई है ज़रूरी  | इमेज: फाइल इमेज

घर-घर घूमी

अपने प्रोजेक्ट की शुरुआत में गरिमा ने घर-घर जाकर यह पता लगाया कि आखिर हर घर से कितना कचरा निकलता है और लोग इस कचरे का क्या करते हैं। उन्हें यह जानकर हैरानी हुई कि यहां कचरा कलेक्शन की सुविधा ही नहीं है, जिससे आम लोगों को खुद ही कचरे को ठिकाने लगाना होता है। गरिमा का यह भी कहना है कि लोग बदलाव चाहते हैं, उनकी योजना की शुरुआत के बाद लोग कचरे को अलग-अलग करके खुश हैं और चाहते हैं कि वेस्ट कलेक्शन सेवा शुरू हो जाये।

वेस्ट मैनेजमेंट को दिया बढ़ावा

गरिमा ने समुद्री किनारों की सुंदरता बनाये रखने के लिए जो सफाई अभियान शुरू किया है। उसके तहत कचरे को अलग-अलग रखने से जुड़े पोस्टर बीचेस पर लगा रही है ताकि ज़्यादा जागरुकता फैलाई जा सके। उनकी पहल का ही नतीजा है कि अब द्वीप के रिसाइकल होने वाले कचरे को चेन्नई भेजा जाने लगा है। उनके अभियान में लोकल अथॉरिटी से लेकर होटल मालिक तक सबने उनका साथ दिया।

समुद्री किनारे इंसानों को मिला कुदरत का अनमोल तोहफा है, जिसे साफ-सुथरा और सुंदर बनाये रखने की पहल हमें ही करनी होगी।

 

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