हमारे देश में नेत्रहीनों की बड़ी तादाद है, इसमें से कुछ जन्म से देख नहीं सकते, तो कुछ बीमारी, दुर्घटना में आंखों की रोशनी खो चुके हैं। कई बार समय रहते आंखों से जुड़ी समस्या पर ध्यान नहीं देने से भी रोशनी चली जाती है। आंखों की देखभाल और उसकी अहमियत के प्रति लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से ही हर साल अप्रैल के पहले सप्ताह में प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक मनाया जाता है।
क्यों मनाया जाता है?
नेत्रहीनों का दर्द सिर्फ वही समझ सकते हैं जिनकी आंखें नहीं है। प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक मनाने का मकसद लोगों को यह समझाना है कि आंखें कितनी अनमोल होती है, इसलिए इसे लेकर किसी भी तरह की लापरवाही न करें। आंखों से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
कब हुई शुरुआत?
प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और राजकुमारी अमृत कौर ने 1960 में की थी। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की ओर से अंधापन दूर करने के लिए शुरू किए गए कैंपेन ‘द राइट टू साइट’ में भी भारत सरकार कई एनजीओ के साथ इस अभियान में शामिल है। 1 अप्रैल से 7 अप्रैल तक चलने वाले प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस वीक में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा कई इवेंट्स और एक्टिवीज़ के ज़रिए जागरुकता फैलाने का काम किया जाता है।
– कम्यूनिटी हेल्थ सेंटर ऑर्गनाइज़ किए जाते हैं, जहां लोगों को आंखों से जुड़ी मुफ्त जानकारी, फ्री आई चेकअप, मोतियाबिंद की जांच और आंखों की समस्या से पीड़ित लोगों को मुफ्त में चश्मा दिया जाता है।
– फ्री आई कैंप्स लगाए जाते हैं, जहां लोगों को जानकारी देने के साथ ही आंखों की बीमारी से बचाव के तरीके और टीकाकरण के बारे में बताया जाता है।
आंखों की रोशनी जाने के कारण
कई लोग जन्म से ही अंधे होते हैं, इसका कारण अनुवांशिक या ज़रूरी पोषक तत्वों की कमी हो सकता है। इसके अलावा मोतियाबिंद का सही समय पर इलाज न कराने से भी आंखों की रोशनी चली जाती है। विटामिन ए और अन्य पोषक तत्वों की कमी, ग्लूकोमा बीमारी भी अंधेपन की वजह हो सकती है।
आई डोनेशन से मदद
हमारे देश में नेत्रदान (आई डोनेशन) को लेकर अब तक उतनी जागरुकता नहीं आई है, जितनी की होनी चाहिए। नेत्रहीनों के जीवन में रोशनी बिखेरने का यह एक बेहतरीन ज़रिया है। यदि हर इंसान अपनी आंखों को दान करने का प्रण कर लें, तो बड़ी संख्या में नेत्रहीनों के अंधेरे जीवन में रोशनी बिखेरी जा सकती है।
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