हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा 2.0 समारोह में अनुशासन के बारे में कहा था कि अगर आप कुछ पाना चाहते है, तो सबसे पहले खुद को अनुशासित करो। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जीवन में अनुशासन के क्या मायने है?
अनुशासन क्यों ज़रूरी है?
अनुशासन वह गुण है, जो जीवन को निरंतरता देता है। इंसान की यह फितरत होती है कि जब भी वह हारने लगता है या काम मन मुताबिक नहीं हो पाता, तो वह जल्द ही हताश होने लगता है। ऐसे में अगर आप अनुशासित हैं, तो उस काम को तब तक करते रहेंगे, जब तक आप उसमें सफल नहीं हो जाते। अगर आप खुद के अन्दर अनुशासन के स्तर को मापना चाहते हैं, तो अपनी तुलना उन लोगों से करे, जिन्हें आप जानते है और वह सफल भी है। इसका फायदा यह होगा कि आप उन बातों पर फोकस करना शुरू करेगें, जिनकी आपको ज़रूरत है।
जीवन में कैसे लायें अनुशासन?
आप भी कुछ तरीकों को आज़माकर बेहतर अनुशासित जीवन पा सकते है-
जवाबदेह बनें
किसी काम को करने और जवाबदेही के साथ करने में बहुत अंतर होता है। अगर आप कोई काम जवाबदेही के साथ करते हैं, तो बेहतर तरीके से फोकस होने के साथ-साथ बेहतर रिज़ल्ट देने की संभावना ज़्यादा होती है।
रियलिटी में जीने की कोशिश करें
एक बार अल्बर्ट आइन्स्टीन ने कहा था ‘कल्पना, ज्ञान की जननी है।’ लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम रियलिटी में जीना छोड़ दे। इंसान का नेचर ही ऐसा होता है कि वह अक्सर रियलिटी को भूलकर कल्पनाओं में जीना शुरू कर देता है। लेकिन अगर आप थोड़ी सी मेच्योरिटी दिखाते हुए चीज़ों को वैसे ही देखना शुरू करते है, जैसे वह है, तो इससे आपके अंदर अनुशासन की भावना का विकास होगा।
बैलेंस से बेहतर लाइफ पाने की कोशिश
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि अगर अनुशासन के साथ-साथ आप लाइफ में बैलेंस कायम कर लेते हैं, तो आपके अंदर फ्लेक्सिब्लिटी का विकास होता है, जो आपको सहनशील बनाने के साथ-साथ आपके जीवन को बेहतरीन बनायेगा।
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