त्योहार हो और किचन से लज़ीज़ खाने की खुशबू न आए, भला ऐसा कभी हुआ है! वैसे भी भारत अपने स्वादिष्ट खाने के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है।
गुझिया
गुझिया के बिना होली का मज़ा ही नहीं है, लेकिन कई मान्यताओं के अनुसार गुझिया तुर्की की ‘बक्वाला’ मिठाई का देसी रुपांतरण है। कई इतिहासकार मानते हैं कि इसका संबंध बुंदेलखंड से है, लेकिन अब ये उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान का खास पकवान है। होली में आए मेहमानों को मावे से बनी गुझिया खिलाने की परंपरा है। बृजवासी तो गुझिये का भोग ठाकुरजी को लगाये बिना होली की शुरुआत नहीं करते। इसलिये यहां कि महिलाये मावे और सूखे मेवों से भरकर गुझिया बनाती है। अलग-अलग राज्यों में गुझिया को अलग-अलग नाम से पुकारते हैं, जैसे कि छत्तीसगढ़ में कुसली, महाराष्ट्र में करंजी, बिहार में पिड़की और आंध्र प्रदेश में कज्जिकयालु।
धुस्का
यह झारखण्ड का पारंपरिक पकवान है, इसलिये होली और दीवाली में धुस्का खास तौर से बनता है। ये चावल के आटे, चना दाल और उड़द की दाल को पीसकर बनाई जाती है। इसके बाद इसे गर्म तेल में तला जाता है। लोग इसे आलू की सब्जी के साथ बड़े चाव से खाते हैं। इसे आमतौर पर लोग नाश्ते में या स्नैक्स में खाते हैं।
पूरन पोली
महाराष्ट्र में होली हो या गणपति या फिर कोई भी त्योहार, बिना पूरन पोली के ये कभी पूरा नहीं हो सकता। महाराष्ट्र के गांव-शहर में लोग होलिका दहन में पूरन पोली से पूजा करते हैं। इसे चने की दाल और गुड़ से बनाया जाता है, जिसे चटनी, अचार या किसी भी सब्जी के साथ खा सकते हैं। पूरन पोली का अर्थ है पूरा भरा हुआ, जिसे मेवों और नारियल से भरा जाता है। इसे भरवां मीठी रोटी भी कहा जा सकता है।
कांजी वड़ा
त्योहार में मीठा होना सही है, लेकिन कुछ नमकीन और मसालेदार भी हो तो मुंह का स्वाद दोगुना हो जाता है। कुछ ऐसा ही पकवान ‘कांजी वड़ा’ जो गुजरात और राजस्थान में बनता है। इसे होली पर खासतौर से बनाया जाता है। कांजी वड़ा बनाने के लिए पहले हींग, राई, लाल मिर्च और काले नमक की खट्टी मीठी कांजी तैयार करेंगे और फिर मूंग की दाल के वड़े बनाकर उसे कांजी में डालकर सर्व किया जाता है।
आलू के गुटके
चटपटे आलू के गुटके उत्तराखंड में काफी मशहूर है। यह डिश लोहे की कढ़ाई में बनाई जाती है। लोहे की कढ़ाई में हल्दी, धनिया, नमक, मिर्च के मसाले में आलू को भूनकर उस पर साबुत धनिया, जीरा से तड़का देकर तैयार किया जाता है। होली के दिन लोग इसे भांग की चटनी के साथ खाना पसंद करते हैं।
ठंडाई
बिना ठंडाई की बात किए होली के पकवानों की बात पूरी नहीं हो सकती। पहले घरों में ठंडाई बनाई जाती थी लेकिन अब मिठाई की दुकान से ठंडाई आ जाती है लेकिन कानपुर और वाराणसी की ठंडाई की बात ही कुछ अलग है। गर्मियों में तो ठंडाई पेट के लिये अमृत समान मानी जाती है। इसमें अगर बादाम, खस-खस, इलायची, केसर और सौंफ का उपयोग किया जाए तो यह शरीर को शक्ति प्रदान करती है।
इस होली आप भी अपने घर में इन पकवानों को बनाकर त्योहार क आनंद लें।
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