जब आप किसी से बात करते हो, तो महसूस होता है कि इससे पॉज़िटिव वाइब्स मिल रही है और कई बार किसी से मिलकर लगता है कि यह व्यक्ति हर परिस्थिति में खुश कैसे रह लेता है। अगर आपसे मिलकर भी लोग कुछ ऐसा ही सोचने लगे, तो मन को कितना सुकून मिलेगा और आप भी खुश रहना सीख जायेंगे।
आज आपको कुछ ऐसे टिप्स बता रहे है, जिसे अपनाकर आपका मन और नज़रिया दोनों ही पॉज़िटिव हो जायेगा। शायद आपको पता भी नहीं चले कि कब आप भी दूसरों के फेवरेट हो गये हैं और आपका पॉज़िटिव अंदाज़ आपको आकर्षक बना देगा।
आइये अब नज़र डालते हैं पॉज़िटिव सोच अपनाने के कुछ आसान तरीको परः
रोज़ एक पॉज़िटिव संकल्प करें
कई बार ऐसा होता है कि आपने एग्ज़ाम की तैयारी बहुत अच्छी की होती है, लेकिन एग्ज़ाम वाले दिन किसी कारण से आप सेंटर पर देर से पहुंचे और हड़बड़ाहट में आपका पेपर अच्छा न हुआ हो? ऐसा इसलिए है, क्योंकि लेट होने की वजह से आपके मन में नेगेटिव इमोशन्स आने लगते हैं और धीरे-धीरे आपके मन पर हावी हो जाते हैं। इस वजह से आप अपना कॉन्फिडेंस खो देते हैं और सारे सवालों का जवाब जानते हुए भी ठीक से लिख नहीं पाते। इसलिए दिन की शुरुआत हमेशा पॉज़िटिव संकल्प के साथ करें। रोज़ एक अच्छी बात सोचें, जैसे ‘आज मेरा एग्ज़ाम बहुत अच्छा होगा।’ अगर आप लेट हो जाये, तो भी यही सोचे कि जितना समय बचा है, मैं उसमें अपना बेस्ट दूंगा।
किसी मुश्किल परिस्थिति में भी ‘हंसी-मज़ाक’ करना न छोड़ें
आपके सबसे अच्छे दोस्त की शादी पास आ रही हो, जिसके लिए आप बहुत ज़्यादा एक्साइटेड हों। ऐसे में अचानक आपके पैर में फ्रैक्चर हो जाये, तो आप कैसे रिऐक्ट करेंगे? आमतौर पर लोग ऐसे में मायूस हो जाते हैं और अपनी किस्मत को कोसते हैं, लेकिन आप अपनी सोच को पॉज़िटिव बनायें। अपने दोस्त की शादी ज़रूर अटेंड करें, चाहे स्टिक लेकर ही जाना पड़े और उसके साथ फोटे खिचवायें। यकीन मानिये, कुछ सालों बाद आप उन फोटोज़ को देखकर खूब हंसेंगे और वो पल आपकी ज़िंदगी के सबसे यादगार पलों में से एक बन जायेंगे।
खुद से पॉज़िटिव बात ही करें
खुद से नेगेटिव बात करना आपके लिए परेशानी खड़ी कर सकता है क्योंकि बार-बार चीज़ों के बारे में नेगेटिव बोलने से आपका नज़रिया भी नेगेटिव बन जाता है। अगर आप किसी काम को करने में असफल हो जाते हैं, तो यह सोचने के बजाय कि, ‘मैं इस काम में बहुत बुरा हूं’ या फिर ‘यह काम मेरे बस की बात नहीं है’, आपको सोचना चाहिए कि ‘अगली बार मैं और ज़्यादा कोशिश करूंगा’ या फिर ‘एक बार मैं इसकी प्रैक्टिस कर लूं, तो मैं इस बार से बेहतर प्रदर्शन करूंगा।’ दरअसल बार-बार मन में की गई बातें या विचार आपके अंदर की भावनाओं में बदल जाते हैं और आपकी खुद की धारणाओं को मज़बूत कर सकते हैं। इसलिए दूसरों के साथ-साथ खुद से भी पॉज़िटिव बातें करें।
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