इनर पीस यानी आंतरिक शांति मन की ऐसी अवस्था है, जहां सारी चिंतायें, परेशानियां और नेगेटिव विचार दूर हो जाते हैं। हालात कितने भी मुश्किल हो, आप बिल्कुल विचलित नहीं होते और शांत भाव से अपना काम करते रहते हैं। आंतरिक शांति मिल जाने पर धन-दौलत, दूसरों की आलोचना मायने नहीं रखती क्योंकि हम खुद को पहचान जाते हैं और एक बार खुद की पहचान कर लेने पर सारे नेगेटिव विचार खुद ही दूर हो जाते हैं।
आप सोच रहे होंगे कि आंतरिक शांति के लिए शायद हिमालय पर जाकर तपस्या करनी होगी, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है, इसके लिए बस आपको अपनी सोच बदलनी होगी और समझना होगा कि आंतरिक शांति यानी इनर पीस एक भावना है जिसे महसूस किया जा सकता है।
इसके लिये आप इन बातों का ध्यान रखिये-
सच्चाई स्वीकारे
आपके किसी कलीग को प्रमोशन मिल गया, तो उसे देखकर मन में ख्याल आने लगा कि बॉस हमेशा उसकी ही तरफदारी करते हैं, मैं ज़्यादा काम करता हूं, तो प्रमोशन मुझे मिलना चाहिये। ऐसे विचारों को मन से निकाल दें और जीवन में जो भी परिस्थितियां आ रही हैं, उसे स्वीकार करते जाइये। फिर मन में किसी तरह का मलाल नहीं रहेगा और मन बिल्कुल स्थिर, शांत बना रहेगा।
खुशियां पल भर की होती हैं, शांति स्थाई
कुछ लोगों को लगता है कि ज़िंदगी में कोई खुशी पाना ही शांति है, लेकिन ऐसा नहीं है। नई नौकरी, नया हमसफर, नई गाड़ी और नया घर ये सब तो बस पल भर के लिए आपको खुशियां देते हैं, जबकि मन की शांति तो एक स्थाई भावना है, जो बहुत गहरी होती है और इस भावना का एहसास होने के बाद आपको जीवन में आने-वाले उतार-चढ़ाव से घबराहट नहीं होगी।
आनेवाले और बीते कल के बारे में न सोचे
जो हो गया, उसे बदला नहीं जा सकता और भविष्य में क्या होगा ये किसी को पता नहीं है, तो बेकार में बीते कल और आने वाले कल के बारे में अनुमान लगाकर खुद को दुखी करने से क्या फायदा। यदि पढ़ाई पूरी करने के बाद भी मुझे नौकरी नहीं मिली तो, कल प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया तो क्या होगा, जैसे नेगेटिव विचार मन को अशांत बनाते हैं। बीते और आने वाले कल के बारे में सोचना छोड़कर वर्तमान में जियें।
खुद से प्यार
आंतरिक शांति के लिए सबसे ज़रूरी है कि आप खुद को पहचानें, खुद से प्यार करें। जो इंसान खुद से प्यार नहीं करता, वह कभी पॉज़िटिव नहीं बन सकता। अपनी क्षमताओं और बुद्धि पर भरोसा करें। जब आप खुद पर विश्वास करेंगे तो मन अपने आप शांत हो जायेगा।
दौलत, शोहरत, नाम सब कुछ पल के लिए ही, सबसे ज़्यादा ज़रूरी चीज़ है मन की शांति, जब तक मन को शांति न मिले सब कुछ बेकार है।
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