रंगों पर हर किसी का अधिकार होता है क्योंकि रंग किसी के सोशल स्टेटस, जाति या असमानता के मोहताज नहीं होते। ये बिना भेदभाव के अपनी खूबसूरती हर किसी के जीवन में घोल देते हैं। जब ईश्वर ने रंग बनाते हुए किसी चीज़ का भेदभाव नहीं किया, तो इंसान क्यों करता है। क्यों रंगो को किसी के मैरिटल स्टेटस से जोड़ दिया जाता है। शादी हो तो महिला लाल रंग पहने दिखती है और अगर उसके पति की मृत्यु हो जाये, तो उससे रंगों का अधिकार छीन लिया जाता है। एक महिला को अपने पति के खोने का दर्द सबसे बड़ा होता है, ऐसे में उसे सपोर्ट करने की बजाय यह समाज उसे अंधेरी दुनिया में धकेल देता है। आज के दौर में भी विडोज़ का जीवन दयनीय है। समाज में इन महिलाओं के प्रति पॉज़िटिव सोच को बदलने के लिए हर साल 23 जून को इंटरनेश्नल विडोज़ डे मनाया जाता है।
विधवाओं की इस दयनीय हालत को देख कर सुप्रीम कोर्ट ने सात मेंम्बर्स के पैनल का गठन किया है, जो उत्तर प्रदेश में इन महिलाओं का डेटा इकट्ठा करेगा, जिससे इनके रीहैबिलिटेशन में मदद की जा सके। हालांकि यह एक उम्मीद की किरण है, लेकिन बिना समाज में बदलाव लाये कुछ भी बदल नहीं सकता। ऐसे ही बदलाव के लिए काम कर रहा है, ‘मिट्टी के रंग’-
क्या है मिट्टी के रंग?
अपनी विडो मां को जीवन भर मुश्किल परिस्थितियों से लड़ते देख कर भुसावल, महाराष्ट्र के अमित जैन ने ‘मिट्टी के रंग’ नाम से साल 2014 में एक गैर-सरकारी संस्था शुरु की, जिसका मकसद महिलाओं को समान अधिकार दिलवाने के साथ-साथ, सिंगल मदर्स और विडोज़ को अधिकार दिलवाना है।
मिट्टी के रंग की कई ब्रांच पुणे, महाराष्ट्र समेत दूसरे 9 देशों में भी हैं। ये उन लोगों के लिए मदद करने का एक ज़रिया हैं, जो समाज के लिए कुछ करना तो चाहते हैं, लेकिन समझ नहीं पाते कि कहां से शुरु करें। अमित साल 2012 में मात्र हज़ार रुपये लेकर पुणे आए थे। अपनी मेहनत और निष्ठा के बल पर आज उन्होंने पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना ली है। हाल ही में अमित जैन को मलेशिया में हुये 2017 में राष्ट्रमंडल युवा शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था। जहां वह 52 देशों के लीडर्स से मिले, साथ ही ब्रिटेन के शाही परिवार के प्रिंस चार्ल्स से भी मिले और बताया कि वह अपनी टीम के साथ क्या काम कर रहे हैं। मिट्टी के रंग को अमित अपनी कमाई से फंड करते हैं। वह हर महीने अपनी आधी कमाई इसमें लगा देते हैं, जिससे तीन प्रोग्राम चलाये जाते हैं।
मिट्टी के रंग ने भारत में रहने वाली विधवाओं की भलाई के लिये कई पॉज़िटिव काम कर चुके है।
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