आज की भागती-दौड़ती ज़िंदगी ने लोगों को पहले से कहीं अधिक मानसिक रूप से बीमार कर दिया है। डिप्रेशन व स्ट्रैस गलत लाइफस्टाइल की ही देन है। इसकी वजह से आबादी का एक बड़ा हिस्सा इसके इलाज के लिए अलग-अलग थेरेपी का सहारा ले रहा है। इसी में से एक है, आर्ट थेरेपी।
क्या है आर्ट थेरेपी?
जब इंसान बोलने की अवस्था में नहीं होता, तो कला के ज़रिये उसकी भावनाओं की अभिव्यक्ति ही आर्ट थेरेपी है। आर्ट थेरेपी का वैज्ञानिक आधार भी है, हालांकि इस दिशा में अब तक बहुत कम रिसर्च हुये हैं। आर्ट थेरेपी में ड्राइंग, पेंटिंग, कोलाज, कलरिंग या मूर्ति बनाने के ज़रिए लोगों के दिल की बात जानी जाती है। आर्ट थेरेपिस्ट किसी शख्स द्वारा किये गये रंगों के इस्तेमाल और रेखाओं के ज़रिये उसके मन की बात जान लेता है और उसी अनुसार आगे काम करता है। मानसिक स्वास्थ्य और शोषण का शिकार हो चुके लोगों के उपचार के लिए यह थेरेपी कारगर साबित होती है।
आर्ट थेरेपी के फायदे
– इस थेरेपी में मरीज़ अपनी भावनाओं को दृश्य रूप में देखता है, जिससे थेरेपिस्ट को भावनाओं और मरीज़ की शरीर के प्रति जागरुकता के बीच संबंध स्थापित करने में मदद मिलती है।
– ऐसे मरीज़ जो अपने साथ ही घटना या अपनी भावनाओं को बोलकर जाहिर नहीं कर पाते, उसे चित्र के माध्यम से कहते है।
– प्रशिक्षित थेरेपिस्ट की मदद से मरीज़ कला के ज़रिये अपनी भावनाओं पर काबू रखना भी सीख सकते हैं।
– आर्ट थेरेपी में मरीज़ को खुद अपने व्यवहार के बारे में पता चलता है, जिससे कई बार वह खुद ही उसे बदलने के लिए प्रेरित हो जाता है।
– अपने विचारों और भावनाओं को कला द्वारा व्यक्त करते समय कई बार मरीज़ों को खुद अपनी अंतरात्मा की आवाज़ सुनाई देती है और थेरेपिस्ट की मदद से वह खुद अपनी स्थिति को अच्छी तरह समझ पाते हैं।
इनके लिए फायदेमंद
आर्ट थेरेपी बच्चों से लेकर व्यस्कों तक सबके लिए फायदेमंद है। कई बार छोटे बच्चे अपने साथ हुई किसी घटना को डर या संकोच से बता नहीं पाते, ऐसे में वह कला के माध्यम से अभिव्यक्त कर सकते हैं। टीनेज से लेकर व्यस्कों तक पर भी यही बात लागू होती है। हर ऐसे इंसान के लिये जो अपनी बात किसी से शेयर नहीं कर पाते और अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं और ये घुटन उन्हें डिप्रेशन का शिकार बना देती है, उनके लिए आर्ट थेरेपी बेस्ट है।
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