कहते हैं कि “उम्मीद पर जीता है ज़माना, वो क्या करे, जिसको कोई उम्मीद नहीं हो।”
यह बात बिल्कुल सच है कि इंसान उम्मीदों पर ही तो जीता है। कल कुछ अच्छा होने की उम्मीद, नई नौकरी, प्रमोशन, नया घर, जीवनसाथी मिलने की उम्मीद। ज़रा सोचिए, यदि हम उम्मीद करना ही छोड़ दें, तो जीवन कितना नीरस हो जाएगा। जीवन में आगे बढ़ते रहने के लिए किसी भी परिस्थिति में उम्मीद का दामन नहीं छोड़ना चाहिए।
कई बार ऐसा होता है कि मन मुताबिक कोई काम न होने या फिर किसी काम में असफल होने पर हमें लगने लगता है कि अब जीवन में कुछ बचा ही नहीं है। हम किसी काम के नहीं हैं, हमसे अब कुछ और हो ही नहीं सकता, लेकिन ऐसी नाउम्मीदी वाली बातों को अपने ज़ेहन से निकालकर खुद से कहें कि क्या हुआ इस बार फेल हो गया तो, अगली बार दोगुनी मेहनत से काम करूंगा।
उम्मीद के बल पर कामयाबी
इतिहास के पन्ने पलटने पर पता चलता है कि यदि दुनिया के महान लोगों ने भी परिस्थितियों से हार मानकर उम्मीद छोड़ दी होती, तो आज वह दुनियाभर के लिए मिसाल नहीं बनते। फोर्ड कंपनी के मालिक हेनरी फोर्ड ने फोर्ड मोटर्स बनाने से पहले पांच बिज़नेस किये और वह सब में फेल रहे, लेकिन आखिरकार फोर्ड के रूप में उन्होंने सबसे कामयाब कंपनी बनाई।
दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों में से एक बिल गेट्स ने हावर्ड की पढ़ाई बीच में छोड़कर बिज़नेस शुरू किया, लेकिन वह असफल रहे। फेल होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और एक छोटी सी कंपनी शुरू की माइक्रोसॉफ्ट, जिसकी गिनती आज दुनिया की टॉप कंपनियों में होती है। इसी तरह वॉल्ट डिज़्नी को अखबार की नौकरी से यह कहते हुए निकाल दिया गया था कि उनके पास नए आइडिया और कल्पनाशक्ति की कमी है। जिसके बाद उन्होंने पूरा डिज़्नी साम्राज्य खड़ा कर दिया।
बेहतर भविष्य की उम्मीद
यदि ये लोग पहले प्रयास में असफल होने के बाद हार मान लेते तो क्या लोगों के सामने मिसाल पेश कर पाते? तो फिर आप क्यों मुश्किल हालात से घबराकर बेहतर भविष्य की उम्मीद करना छोड़ देते हैं। बस ज़रूरत है, खुद को सशक्त और सोच को पॉज़िटिव बनाये रखने की।
अपनी असफलता से सबक लें और उसका विश्लेषण करें कि आखिर कमी कहां रह गई और अगली बार अपनी उस कमी को दूर करने का प्रयास करिए। असफलता से मुंह मत मोड़िए, उसे स्वीकार करिये और सीख लेते हुए ज़िंदगी में आगे बढ़िए।
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