धरती को भी वही सब चाहिये, जो किसी जीवन के लिये ज़रूरी है। लेकिन धरती की हालत देखते हुये लगता है कि यह अब बुढ़ापे की ओर जा रही है। कभी पेड़ पौधों से हरी भरी धरती अब बंजर होने लगी है। धरती ने हमें वह सब कुछ दिया, जो हमारे लिये ज़रूरी है, लेकिन अपने लालच के लिये हमने इसका भी गलत इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। अब आलम यह है कि धरती हमें देने की जगह हमसे कुछ मांग रही है।
कैसे चोट पहुंचाई धरती को?
जीवन की रफ्तार बढ़ाने के लिये हम दिन ब दिन पेड़ काटते जा रहे हैं और ज़रूरत पड़ने पर तो पूरा जंगल ही साफ कर रहे हैं। इस वजह से डीफॉरेस्टेशन हुआ और बाढ़ आने लगीं। ऑक्सीजन की कमी के कारण ग्रीनहाउस गैस बढ़ने लगीं, जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग होने लगी है। युनाईटेड नेशन्स एन्वायरमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) के मुताबिक पिछले सौ सालों में सी-लेवल 10 से 25 सेंटीमीटर बढ़ गया है और कार्बनडाई ऑक्साइड, जो ग्रीनहाइस इफेक्ट के लिए ज़िम्मेदार होती है, वो धरती के तापमान की बढ़ोतरी का 85% कारण है। इतना ही नहीं, इस वजह से ओज़ोन लेयर को भी नुक्सान पहुंच रहा है, और वो धीरे-धीरे पतली होती जा रही है। अंटार्टिका में एक ऐसी जगह है, जहां से यह लेयर बिलकुल खत्म हो चुकी है।
क्या करती है ओज़ोन लेयर?
ओज़ोन धरती के करीब दस किलोमीटर ऊपर एक ऐसी गैस की परत है, जो सूरज से आने वाली अल्ट्रावॉयलेट किरणों को धरती पर पहुंचने से पहले काफी हद तक अपने में समा लेती है। अगर यह परत न होती, तो धरती पर किसी भी जीव का रह पाना मुश्किल हो जाता। सूरज से आने वाली अल्ट्रावॉयलेट किरणों की वजह से इंसान को स्किन कैंसर, मोतियाबिंद, जेनेटिक और इम्यून संबंधी डैमेज हो सकते हैं।
ओज़ोन बचाने के लिये खास दिन
युनाइटेड नेशन्स जनरल असेंबली ने 16 सितंबर को ‘इंटरनेशनल डे फॉर द प्रिज़र्वेशन ऑफ द ओज़ोन लेयर’ के रूप में नामित किया। 6 सितंबर वह तारीख है, जब दुनिया के कई देशों ने इस बात का प्रण लिया था कि उनका देश ऐसे पदार्थों के इस्तेमाल से बचेगा, जो ओज़ोन परत को कमज़ोर करते हैं।
ओज़ोन लेयर को बचाने के लिये ‘कदम उठायें सही’
– अपने आस-पास के लोगों के साथ कार पूल करें।
– हो सके तो पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें।
– ईको-फ्रेंडली प्रॉडक्ट्स का इस्तेमाल करें।
– रिसाइकल और रीयूज़ में विश्वास रखें।
– प्लास्टिक का इस्तेमाल बिलकुल बंद कर दें।
– पेड़-पौधों और झाड़ियों में आग न लगने दें।
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