घर की साफ-सफाई के बाद आप जिस कचरे को फालतू समझकर फेंक देते हैं, वह कचरा अब मुंबई वालों के काम आएगा। मुंबई का ठाणे पहला ऐसा शहर बनने जा रहा है, जो अब कूड़े से बिजली बनाएगा। ठाणे नगर निगम एक ऐसा प्लांट तैयार कर रहा है, जो 600 टन गीले कचरे से बिजली बनाएगा। नगर निगम के इस कदम से न सिर्फ मुंबई वालों को जगह-जगह पड़े कचरे से निजात मिलेगी बल्कि इससे बिजली की सुविधा भी मिलेगी। इस प्रोजेक्ट पर काम करते समय ‘सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स, 2016’ को ध्यान में रखा जाएगा और यह प्लांट साल 2020 में तैयार हो जाएगा।
कितना वेस्ट होगा ट्रीट?
हर रोज़ ठाणे से करीब 900 टन गीला कचरा इकट्ठा होता है। शुरुआत में यह प्लांट 600 टन गीले कचरे को ट्रीट करेगा, जिसकी क्षमता कुछ महीनो बाद 800 टन हो जाएगी। दाईघर गांव के पास बन रहे इस प्लांट से चौदह मेगावॉट की बिजली का उत्पादन होगा। यह बिजली ‘ महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड’ को दी जाएगी।
ठाणे के करीब पचास प्रतिशत निवासी कूड़े को अलग-अलग करके फेंकते हैं, बाकि बचे कचरे को नगर निगम छांटता है। हालांकि अगले एक साल के अंदर ऐसी पॉलिसी का लाने का विचार है, जिससे शत प्रतिशत कूड़ा छांटकर नगर निगम तक पहुंचे।
कैसे काम करेगा यह प्लांट?
टीएमसी, एनेरोबिक डाइजेशन प्रॉसेस के ज़रिए कूड़े को ट्रीट करेगा, जिससे बायोगैस बनेगी। इस तकनीक से पहले कूड़े की जांच करके इन-ऑर्गेनिक तत्वों को अलग किया जाएगा, जिसके बाद उसे डायजेस्टर में डाल दिया जाएगा। यहां कूड़े को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट दिया जाएगा, जिसके बीस दिन बाद उसमें से बायोगैस बन जाएगी। जब बायोगैस बन जाएगी, तो उसे एक वॉल्व के ज़रिए निकाला जा सकेगा। यह गैस खाना पकाने के काम आती है, साथ ही अगर इसे कमबस्ट कर दिया जाए, तो बिजली बन सकती है। टीएमसी इस कोशिश में है कि कूड़े का कोई भी भाग खराब न जाए इसलिए कूड़े के बचे हुए भाग से फ्लाई-ऐश ईटें और फर्टिलाइज़र बनाए जाएंगे।
टीएमसी का यह कदम शहरवासियों के लिए बेहद लाभदारी रहेगा। जहां एक तरफ शहर जगह-जगह पड़ी गंदगी से छुटकारा पाएगा, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण को रहे नुकसान में कमी आएगी। हालांकि कई राज्य कूड़े को सही तरह से ट्रीट करने की दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन ठाणे नगर निगम की कोशिश बेहद सराहनीय है।
और भी पढ़े: सीवरों की सफाई करेंगे रोबोट
इमेज: सियाथा न्यूज़