यह तो कई बार सिद्ध हो चुका हैं कि प्राणायाम शरीर को सेहतमंद रखता है लेकिन हाल ही में यह सामने आया है कि ग्लूकोमा यानिकि काला मोतिया के मरीज़ों के लिए भी प्राणायाम करना बहुत ज्यादा फायदेमंद हैं।
इसका खुलासा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉ. राजेंद्र विज्ञान केंद्र के डॉक्टरों की हालिया स्टडी में हुआ है। काला मोतिया के मरीज़ों को ध्यान लगाने से और प्राणायाम करने से आंख के दबाव को कम करने में मदद मिलती हैं।
क्या होता है काला मोतिया
दरअसल हमारी आंख के अंदर एक तरल पदार्थ होता है और अगर आंखों के इस तरल पदार्थ के पैदा होने और बाहर निकलने की प्रक्रिया में जब कभी दिक्कत आती है, तो आंखों में दबाव बढ़ जाता है। अगर आंखों पर दबाव बढ़ता है, तो ऑप्टिक नर्व डैमेज होने लगती है और आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कमजोर होने लगती है। अगर इसके लक्षणों का पता न चले, तो आदमी अंधा भी हो सकता है।
रिसर्च के नतीजे
इस रिसर्च में काला मोतिया के 90 मरीजों को दो भागों में बांटा गया। इसमें से एक ग्रुप को 21 दिनों तक दवाओं के साथ रोज़ाना एक घंटे प्राणायाम कराया गया जबकि दूसरे ग्रुप को सिर्फ दवाएं दी गई। तीन हफ्तों के बाद जब दोनों ग्रुप की आंखे चेक की, तो पाया कि काला मोतिया के मरीजों में करीब 25 फीसदी तक आंखों का दबाव कम हुआ था।
कैसे हुआ बदलाव
दरअसल जिन रोगियों ने प्राणायाम किया था, उनमें स्ट्रैस हार्मोंन में काफी बदलाव आए और इससे उन मरीज़ों की आंखों पर भी असर हुआ। भारत में काला मोतिया से करीब 20 करोड़ लोग पीड़ित हैं। ऐसे में इस तरह की रिसर्च रोगियों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी।
जर्नल ऑफ ग्लूकोमा नेत्र विज्ञान के लिए आरपी सेंटर, एम्स के प्रोफेसर और इस अध्ययन के पहले लेखक डॉ. तनुज दादा ने कहा कि इंट्राओकुलर दबाव (आईओपी) को कम करना काला मोतिया के लिए एकमात्र सिद्ध उपचार है और यह वर्तमान में आई-ड्रॉप्स, लेज़र थेरेपी या सर्जरी के जरिये हासिल किया जाता है। आई-ड्रॉप्स महंगी हैं और इसका पूरे शरीर पर दुष्प्रभाव होता है और कई मरीज उन्हें जीवनभर की थेरेपी के रूप में जुटाने में सक्षम नहीं होते हैं। यह अध्ययन जर्नल ऑफ ग्लूकोमा में प्रकाशित हुआ है।
दवाइयों का रिप्लेसमेंट नहीं
आरपी सेंटर के ऑपथैलमॉजी के प्रोफेसर डॉ. तनुज दादा का कहना है कि मरीजों के लिए ये एक थेरेपी की तरह है। प्राणायाम और ध्यान लगाने का मतलब यह नहीं होता कि काला मोतिया पीड़ित दवाइयां को प्राणायाम से रिप्लेस कर दें। एम्स में फिजियोलॉजी विभाग, इंटीग्रल हेल्थ क्लीनिक के प्रभारी प्रोफेसर डॉ. राज कुमार यादव ने कहा कि दुनिया में यह पहला अध्ययन है जो मस्तिष्क को लक्षित करके ध्यान लगाने से आंखों के दबाव को कम करने और रोगियों के सामान्य स्वास्थ्य दोनों में सुधार के लिए मजबूत वैज्ञानिक सुबूत प्रदान करता है।
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