जिस तरह छात्रों की सफलता में टीचर्स का महत्वपूर्ण योगदान होता है, वैसे ही किसी भी खिलाड़ी की कामयाबी के पीछे उसके कोच की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक बेहतरीन खिलाड़ी गढ़ने में कोच की मेहनत और जुनून भी शामिल होता है। चलिये आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही कोच के बारे में जिन्होंने हमारे देश के बेहतरीन खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारा है।
पुलेला गोपीचंद (पीवी सिंधु, सायना नेहवाल)
गोपीचंद खुद एक बेहतरीन बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुके हैं और उन्होंने बैडमिंटन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में बहुत योगदान दिया है। खेल छोड़ने के बाद वह बैडमिंटन कोच बन गये और उनकी अकेडमी से सायना नेहवाल और पीवी सिंधु जैसी सफल खिलाड़ी निकली हैं। पीवी सिंधु ने हाल ही में वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है।
एल इबोमचा सिंह (मैरी कॉम)
मणिपुर के एक छोटे से गांव की साधारण लड़की को फौलादी मैरी कॉम बनाने में उनके कोच एल इबोमचा सिंह का बहुत योगदान है। पहली बार अपने बॉक्सर बनने के सपना लेकर जब मैरी कॉम एल इबोमचा के पास गई, तो उन्हें कहा था, “लगता नहीं कि तुम जैसी पतली दुबली और छोटी सी लडक़ी बॉक्सर बन सकेगी। कुछ दिन प्रैक्टिस करो, फिर देखते हैं।” कोच की इसी बात ने मैरी कॉम की ज़िंदगी बदल दी और कड़ी मेहनत से उन्होंने महिला बॉक्सिंग की दुनिया में अपना सिक्का जमाया।
सतपाल सिंह (योगेश्वर दत्त, सुशील कुमार)
सतपाल सिंह 1982 में एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं, मगर हमारे देश में पहलवानों के लिए अच्छी ट्रेनिंग की सुविधा नहीं थी और न ही पैसे थे जिसकी वजह से ज़्यादातर पहलवान अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते थे। सतपाल सिंह ने खेल से रिटायर होन के बाद अपना पहलवानी ट्रेनिंग सेंटर शुरू किया और यहां न सिर्फ खिलाड़ियों को बेहतरीन सुविधाएं दी गई, बल्कि उनकी डाइट का भी खास ख्याल रखा जाता है। सतपाल सिंह की बदौलत ही भारत को योगेश्वर दत्त और सुशील कुमार जैसे बेहतरीन पहलवान मिले, जिन्होंने भारत को तीन ओलंपिक मेडल दिलाये हैं।
गुरुबख्श सिंह संधु (विजेंद्र सिंह)
गुरुबख्श सिंह सबसे ज़्यादा समय तक भारतीय बॉक्सिंग टीम के कोच रहे हैं। 1993 से उन्होंने कोचिंग शुरू की। उन्होंने कई अच्छे बॉक्सर तैयार किए हैं, जिसमें से तीन बॉक्सर ने 2008 के ओलंपिक क्वाटर फाइनल में जगह बनाई थी और उसमें से एक विजेंद्र सिंह ब्रॉन्ज मेडल जीतने में सफल हुए थे। उनके अंडर ट्रेनिंग ले चुके 8 खिलाड़ियों ने 2012 के ओलंपिक खेलों में क्वालिफाई किया था, जो रिकॉर्ड है।
रमाकांत आचरेकर (सचिन तेंदुलकर)
सचिन तेंदुलकर को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों की लिस्ट में शामिल करने के पीछे उनके कोच रमाकांत आचरेकर की मेहनत और विश्वास भी है। रमाकांत ने छोटी उम्र में ही सचिन के अंदर छिपी प्रतिभा को पहचानकर उसे निखारा और उनकी बदौलत ही सचिन तेंदुलकर महान क्रिकेट खिलाड़ी बन पायें। सचिन ने बताया कि कैसे उनके गुरू रमाकांत ने उन्हें जीवन का पाठ पढ़ाया। एक वाक्या याद करते हुये सचिन ने बताया कि शुरूआती दौर में रमाकांत ने उन्हें ट्रेनिंग के लिये बुलाया था, पर वह ट्रेनिंग छोड़ अपनी सीनियर टीम की हौसलाअफजाई करने स्टेडियम पहुंच गये। वहां रमाकांत ने उन्हें डांटते हुये कहा कि तुम इतनी मेहनत करो कि लोग तुम्हारे तालियां बजाये। बस यह बात सचिन के मन में घर कर गई।
राजकुमार शर्मा (विराट कोहली)
टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान और बेहतरीन खिलाड़ी विराट कोहली की सफलता में उनके बचपन के कोच राजकुमार शर्मा का महत्वपूर्ण योगदान हैं। तभी तो विराट आजतक उन्हें भूले नहीं है। इंटरनेशनल लेवल पर कोहली के शानदार प्रदर्शन के लिए राजकुमार शर्मा को 2016 में द्रोणाचार्य अवॉर्ड मिल चुका है।
शिक्षक दिवस के इस मौके पर इन सभी मेहनती और जुनूनी कोचों को हमारा सलाम।
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