कोरोना वायरस से बचने के लिए दुनिया कर रही ‘नमस्ते’, जानिए इसके फायदे

कोरोना वायरस से बचने के लिए दुनिया कर रही ‘नमस्ते’, जानिए इसके फायदे

इज़रायल के प्रधानमंत्री कोरोना से बचने के लिए ले रहे हैं नमस्ते का सहारा
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कोरोना वायरस की दहशत पूरी दुनिया में फैल चुकी है। कोरोना 75 से ज़्यादा देशों में अपने पैर पसार चुका है, जिसमें भारत भी शामिल है। भारत में कोरोना के कई केस पॉज़िटिव मिले हैं। ऐसे में हर कोई इस घातक वायरस से बचने के तरीके बता और समझा रहा है। इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने तो कोरोना से बचने के लिए लोगों को ‘नमस्ते’ करने की सलाह दी है।

क्यों दी नमस्ते की सलाह?

दरअसल, कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या उससे हाथ मिलाने से भी फैल सकता है। ऐसे में बचाव के तौर पर इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने लोगों से हाथ मिलाने की बजाय नमस्ते करने की सलाह दी है ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। इज़ारयल में अब तक कोरोना के 17 मामले सामने आ चुके हैं और पूरी दुनिया में चीन से शुरू हुई इस बीमारी का आंकड़ा दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में हर किसी को अपने सेहत के प्रति पूरी तरह से एहतियात बरतने की ज़रूरत है। वैसे इज़रायली प्रधानमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में न सिर्फ नमस्ते करने को कहा, बल्कि इसे करके भी दिखाया।

नमस्ते के फायदे

दुनिया अब भारत की बरसों पुरानी अभिवादन की परंपरा को अपना रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि नमस्ते करने के और क्या-क्या फायदे हैं?

बरसों पुरानी अभिवादन की परंपरा है नमस्ते
बरसों पुरानी अभिवादन की परंपरा है नमस्ते | इमेज : फाइल इमेज

याददाशत बढ़ती है

 जब आप दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं, तो उंगलियों पर दवाब पड़ता है यह एक्यूप्रेशर का काम करता है। इसका असर आंख, कान और दिमाग पर होता है और इससे आपकी याददाशत बढ़ती है।

पॉजिटिव एनर्जी मिलती है

दोनों हाथ जोड़कर छाती के पास लाकर नमस्ते करने से आपको खुशी का एहसास होता है जिससे शरीर से पॉज़िटिव एनर्जी निकलती हैं। नमस्ते करने से आपको और सामने वाले दोनों को खुशी मिलती है।

ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहता है

नमस्ते करने से शरीर में पॉज़िटिव एनर्जी का संचार होता है और यह ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाती हैं यानी शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक तरह से होता है।

सुकून मिलता है

नमस्ते करते समय हथेलियों पर दबाव पड़ता है जिससे हृद्यचक्र और आज्ञाचक्र एक्टिव हो जाता है, इससे मन को शांति मिलती है।

हाथ मिलाने पर आपको सामने वाले व्यक्ति से किसी तरह का संक्रमण होने का डर रहता है, लेकिन नमस्ते करने पर ऐसा बिल्कुल नहीं होता। शायद इसलिए भारतीय संस्कृति में शुरू से ही अभिवादन के इस तरीके को तरजीह दी गई और अब पूरी दुनिया इसे अपना रही है।

इमेज : द वीक

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