जब भी हम फल और सब्जियां खरीदने जाते हैं, तो हमारी यही कोशिश होती है कि हम ताज़े और बढिया क्वालिटी के ही फल ही खरीदें। खरीदते समय हम अक्सर फल के बाहरी रंग रूप को देख लेते हैं और कई लोग तो फलों पर लगे स्टीकर देखकर अंदाजा लगा लेते हैं कि ये फल बेहतर क्वालिटी का ही होगा।
अगर आप भी यही करते हैं, तो ये लेख आपकी इस गलतफहमी को काफी हद तक दूर कर देगा। फलों पर लगे छोटे से स्टीकर बहुत कुछ कहते हैं। आइये जानते हैं इन स्टिकरों का असली मतलब क्या है?
क्या होता है पीएलयू कोड ?
फलों पर चिपके स्टीकर पर दाम, एक्सपायरी डेट के अलावा पीएलयू कोड भी होता है। पीएलयू (प्राइज लुक अप) कोड में एक विशेष अंक से संख्या शुरू होती है। इससे आपको यह जानकारी मिलती है कि जो फल आप खरीद रहे है, उसे पारंपरिक तरीके से उगाया गया है या फिर उसमे किसी रासायनिक पदार्थ का इस्तेमाल किया गया है।
पहला – 9 अंक से शुरु होने वाले 5 डिजिट कोड
अगर स्टीकर 9 अंक से शुरू होता है और कोड की संख्या पांच है जैसे कि 90412, तो उस फल को पारम्परिक तरीके से उगाया गया है। मतलब यह फल आपकी सेहत के लिए अच्छा है।
दूसरा – 8 अंक से शुरु होने वाले 5 डिजिट कोड
अगर आपको स्टिकर पर 5-अंकीय कोड दिखता है, जो 8 नंबर से शुरू होता है, जैसे कि 80412, तो उसे वैज्ञानिक तरीकों से उगाया गया है। कई लोग इन फलों को सेहत के लिए अच्छा नहीं मानते।
तीसरा – केवल 4 कोड वाले फल
अगर किसी फल के ऊपर लगे स्टीकर पर केवल 4 नंबर ही है, जिसकी शुरूआत 4 या 3 अंक से होती है, जैसे कि 4036 या 3046, इसका मतलब है कि वह फल सेहत के लिए अच्छे नहीं हैं। इन फलों को आमतौर पर कीटनाशक दवाइयों की मदद से उगाया जाता है।
ब्रैंडिड या ओके स्टीकर
कई फल और सब्जियों पर ओके, क्वालिटी, ब्रैंडिड जैसे स्टीकर भी लगे होते हैं। ये स्टीकर नकली हो सकते हैं। ऐसे फलों को खरीदते समय सावधानी बरतें।
हमारी राय है कि आप मौसमी और स्थानीय फलों को ज़्यादा महत्व दें क्योंकि ये ताज़े होते हैं और सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं।
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