पहले कहा जाता था कि ‘पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो बनोगे खराब’ लेकिन अगर किसी भी मनोवैज्ञानिक या विशेषज्ञ से पूछा जाए, तो उनका कहना होगा कि खेलकूद एक व्यक्ति के लिए बेहद ज़रूरी है। इसकी नींव बचपन से ही डाल देनी चाहिए क्योंकि किसी भी तरह के खेल में भाग लेने से न केवल बच्चों में बल्कि बड़ों में भी स्ट्रेस लेवल में कमी देखी जाती है। इससे व्यक्ति रिलैक्स्ड महसूस करता है, उसका मूड अच्छा रहता है और वह समाज के लोगों से जुड़ा रहता है।
क्यों बचपन से ही अपने बच्चे को खेल-कूद से जोड़ दें ?
आत्म सम्मान का विकास होता है
छोटे बच्चों का मन कच्ची मिट्टी जैसा होता है, जैसा देखते हैं, महसूस करते हैं, उसी से उनका व्यक्तित्व बनता है। पीठ थपथपाने से कुछ अच्छा और उत्साहित करने वाले भाव बच्चों के मन में आते हैं। जैसे-जैसे बच्चा अपनी काबिलियत पहचानने लगते है, वैसे-वैसे ही उनका आत्मसम्मान बढ़ने लगता है।
लीडरशिप सिखाता है खेल
खेल से बच्चा ज़िम्मेदारी लेना सीखता है और ज़रूरत के समय अपनी टीम के लिए कुछ भी कर जाता है। यह मायने नहीं रखता कि आप टॉप पर है या नहीं, मायने यह रखता है कि आप अपनी ज़िम्मेदारी निभाना जानते हैं कि नहीं और अपने आस-पास वाले लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं, कि नहीं।
सम्मान का महत्व सिखाता है खेल-कूद
खेल-कूद के नियम अधिकारों का सम्मान करना सिखाते हैं। सभी को नियमों का पालन करना ज़रूरी है, जिसके न करने पर व्यक्ति को बाद के परिणामों के बारे में तैयार रहना होता है। अपने कोच का सम्मान करना और उसका पालन करना एक बेहद महत्वपूर्ण पहलू है। साथ ही आपको खेल-कूद से स्पोर्ट्समैनशिप की भावना पैदा होती है क्योंकि आप हार और जीत दोनों को स्वीकार करना सीखते हैं।
बेहतर वक्ता बनाता है
कोई भी खेल बिना अपनी बात रखे नहीं खेला जा सकता। एक अच्छा खिलाड़ी अच्छी तरह से अपनी बात सामने रखना जानता है। खिलाड़ियों के सामने अक्सर ऐसी स्थिति आती है, जब उसके मन में एकदम साफ और स्पष्ट विचार होने ज़रूरी होते हैं। टीम स्पोर्ट्स से अच्छे संबंध का महत्व समझ आता है, इसलिए खेलने वाले बच्चे धीर-धीरे अपने विचारों को साफ और सरल तरीके से सामने रखने की कला सीख जाते हैं।
वक्त का महत्व समझना
अक्सर एक अच्छा एथलीट, एक अच्छा शिष्य भी होता है। खेल के ज़रिए बच्चा समय के महत्व को समझता है क्योंकि उसे एक निर्धारित समय के अंदर अपने लक्ष्य तक पहुंचना होता है। खेल से जुड़े लोग एक दूसरे की खेल के मैदान में और मैदान के बाहर मदद करना जानते हैं।
इन सब के अलावा बच्चा मानसिक और शारिरिक रूप से मज़बूत होता है, साथ ही उसके स्वभाव में लचीलापन आता है। …. तो बताइए, क्या अभी भी आप अपने बच्चे को खेल से दूर रखना चाहेंगे।
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