ज़िंदगी में जब कोई बड़ा बदलाव होने वाला होता है तो अक्सर लोग नर्वस और चिंतित हो जाते हैं, इसे ही घबराहट या अंग्रेजी में एंग्जाइटी कहा जाता है। प्रेग्नेंसी किसी भी महिला की ज़िंदगी में होने वाला बहुत बड़ा बदलाव है,जो अपने साथ कई तरह की भावनाओं को समेटे होता है। इस दौरान बहुत सी महिलाओं को घबराहट का सामना करना पड़ता है, हालांकि थोड़ी सी सावधानी और सतर्कता से इससे निपटा जा सकता है।
गर्भावस्था के दौरान महिलाएं कभी अपने बेडौल शरीर, तो कभी अपनी डिलिवरी, बच्चे हेल्दी होगा या नहीं जैसी बातें सोचकर बहुत अधिक परेशान और चिंतित हो जाती हैं। जब तनाव ज़्यादा हो जाता है तो यह घबराहट का कारण बन जाता है। एक अध्ययन के मुताबिक करीब 18 से 20 प्रतिशत महिलाएं गर्भावस्था के दौरान एंग्जाइटी का सामना करती हैं। अगर चिंता थोड़ी-बहुत हो तो वह सामान्य है, लेकिन जब यह आपकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित करने लगे तो इसे लेकर सतर्क होने की ज़रूरत है।
घबराहट होने के लक्षण
– बार-बार चिंतित होना और इस भावना पर आप काबू नहीं कर पाती हैं।
- अपने बच्चे की सेहत और दूसरी चीज़ों के बारे में ज़रूरत से ज़्यादा सोचना
- किसी चीज़ पर ध्यान केंद्रित न कर पाना
- चिड़चिड़ापन होना
- मांसपेशियों का तनावग्रस्त होना
- ठीक तरह से नींद न आना
यदि आपको ज़्यादा घबराहट महसूस हो रही है तो इस बारे में डॉक्टर से बात करनी ज़रूरी है, लेकिन हल्के लक्षणों का उपचार आप खुद ही कर सकती हैं, कुछ बातों का ध्यान रखकर।
किसी करीबी से बात करें
कहते हैं बात करने से मन का बोझ हल्का हो जाता है। इसलिए अपनी चिंताओं के बारे में पार्टनर या किसी करीबी दोस्त से बात करें जो आपको सपोर्ट करे। दूसरों के साथ अपनी बातें और भावनाएं शेयर करने के बाद आपको काफी सुकून महसूस होगा। यदि आपको लगता है कि आप किसी से अपनी बात शेयर नहीं कर सकतीं तो डॉक्टर से बात करें वह आपको थेरेपिस्ट के पास जाने की सलाह दे सकता है।
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खुद को समय दें
खुद की देखभाल करना बहुत ज़रूरी है। इसलिए कुछ आसान कसरत, योगा या सैर कर सकती हैं, इससे तनाव और घबराहट कम होती है। इससे शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन का स्राव होता है जो दर्द से राहत दिलाने का काम करता है। एक बात का ध्यान रहे कि किसी भी तरह की कसरत करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। इसके अलावा आप ऐसा कोई भी काम कर सकती हैं जिसे करना आपको पसंद हो।
दिमाग को दूसरे काम में व्यस्त करें
जब किसी चीज़ को लेकर ज़्यादा चिंता होने लगे तो खुद को मेडिटेशन, मसाज थेरेपी, एक्यूपंक्चर और डीप ब्रिदिंग एक्सरसाइज आदि में व्यस्त करें। इससे दिमाग से बेकार के विचार निकल जाएंगे।
आराम है ज़रूरी
घबराहट कम करने के लिए नींद का पूरा होना बहुत ज़रूरी है। यदि आपको पीठ दर्द, कमर दर्द या अन्य किसी तरह की तकलीफ के कारण रात में नींद नहीं आती है तो दोपहर में सोने की कोशिश करें।
विचारों/भावनाओं को लिखें
आप जो महसूस कर रही हैं, उन चीज़ों को कागज पर लिखने से घबराहट और तनाव थोड़ा कम होता है और इससे आपको अपनी प्राथमिकताएं तय करने में भी मदद मिलती है। ऐसा करने से आपको यह भी पता चल जाएगा कि कौन सी बातें आपको ज़्यादा परेशान कर रही हैं, इससे आप उससे निपटने के तरीके ढूंढ़ सकती हैं और इसे अपने डॉक्टर को भी बता सकती हैं।
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