“लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती…
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती…”
जब भी कोई निराशा होती है, तो कवि सोहनलाल द्विवेदी की ये कविता मन में एक नया जोश भर देती है। असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करना और अगर कोई कमी रह गई है, तो उसे देखकर सुधारना बहुत ज़रूरी है। कुछ यही मिसाल देता है चंद्रयान-3
चंद्रयान 2 के बाद अब चंद्रयान 3 क्यों?
भारत के ऐतिहासिक चंद्रयान 2 के बारे में हर कोई जानता है। 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किए गए चंद्रयान-2 मिशन के तहत भारत को चांद की दक्षिणी सतह पर लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग करानी थी। लेकिन अंतिम समय में लैंडर की रफ्तार नियंत्रित न हो के कारण वह रास्ता भटक गया और चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की जगह उसकी हार्ड लैंडिंग हुई। जिससे लैंडर से संपर्क टूट गया। अब इसे लेकर दुखी होने के बजाय इसरो ने चंद्रयान 3 के ज़रिये इस कमी को सुधारने का काम शुरु कर दिया है।
उम्मीद की किरण है चंद्रयान 3
चंद्रयान-2 में जो भी छोटी सी असफलता इसरो को मिली, वैज्ञानिक उससे अपने हौसलों को कमज़ोर नहीं करने देना चाहते। उन्होंने नये जोश के साथ चंद्रयान 3 पर काम करना शुरू कर दिया है। चंद्रयान 3 के नए मिशन में लैंडर के पांव इतने मज़बूत किए जाएंगे, जिससे की तेज गति से उतरने पर भी वह क्रैश न हो। चंद्रयान 3 में वे नया रोवर और लैंडर बनाएंगें, ताकि चंद्रयान 2 के कमी को पूरा किया जा सके।
चंद्रयान-3 में क्या होगा अपग्रेड?
मिली जानकारी के अनुसार चंद्रयान 3 के लैंडर और रोवर में ज़्यादा बेहतरीन सेंसर्स, ताकतवर कैमरे, अत्याधुनिक नियंत्रण प्रणाली और ज्यादा ताकतवर संचार प्रणाली लगाई जाएगी। चंद्रयान 3 के सभी हिस्सों में बैकअप संचार प्रणाली भी लगाई जा सकता है ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी होने पर बैकअप संचार प्रणाली का उपयोग किया जा सके।
इसरो द्वारा चंद्रयान 3 सभी के लिये एक प्रेरणा है, जो यह बताती है कि जब तक आप अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर लेते, तब तक कोशिश करते रहना चाहिये।
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