प्रकृति और इंसानों के बीच हमेशा से ही एक खास रिश्ता रहा है और यह आज भी कायम है, क्योंकि इंसान यह जान चुका है, प्रकृति के होने से ही इंसान का भी अस्तित्व जुड़ा हुआ है। तभी तो जानवरों का संरक्षण करने वाली कई संस्थाएं आज आम लोगों को इन संस्थाओं के साथ जोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
खासतौर से कोविड के इस माहौल में जब जानवरों के लिए खाने-पीने का इंतज़ाम करना ज़रूरी हो गया है। हाल ही में मुंबई के बोरीवली इलाके में स्थित संजय गांधी नेशनल पार्क ने भी आम लोगों को इसमें जोड़ने की मुहिम शुरू की है। इस मुहिम के तहत आम लोग जंगली जानवरों को गोद ले सकते हैं।
क्या है प्रक्रिया ?
अगर आप जानवरों को गोद लेना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको नेशनल पार्क की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन एक फॉर्म भरना होगा। इसके बाद जो भी जानवर आपने गोद लिया है, उसके खाने-पीने का एक साल का खर्च नेशनल पार्क प्रशासन को भेजना होगा। उदाहरण के तौर पर शेर को गोद लेने पर सालाना 3 लाख तो वही बारह सिंघा जैसे जानवरों को अडॉप्ट करने पर 10 हज़ार रूपए प्रति वर्ष का दान देना होगा। अगर आप किसी जानवर को गोद लेते हैं, तो आप बिना किसी अतिरिक्त चार्ज के अपने गोद लिए जानवर से मिल सकते हैं।
पहले भी हो चुके हैं सफल प्रयोग
1. डब्लू डब्लू एफ (WWF) ऐसे ही अभियान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चलाता है।
2. ओडिशा के नंदनकानन नेशनल पार्क में पिछले साल यही मुहिम शुरू हो चुकी है। यहां शेर, चीते, हाथी, पेंगोलिन आदि किसी को भी गोद ले सकते हैं।
3.इसके अलावा मध्य प्रदेश के पेंच नेशनल पार्क, कलकत्ता ज़ूलॉजिकल गार्डन में भी जानवरों को गोद लेने की सुविधा है।
क्या हैं फायदे?
मानसिक सेहत होती है बेहतर डब्लू डब्लू एफ (WWF) ने अपने एक शोध में पाया कि अगर आप जानवरों के साथ समय गुज़ारते हैं तो आपकी मानसिक सेहत बेहतर होती है। आज कई एनजीओ इसी अध्ययन के आधार पर काम कर रहे हैं।
पॉज़िटिव ऊर्जा महसूस होना
सोचिये आप एक शेर/चीते या किसी हाथी को गोद लेते हैं और फिर उसे अपनी मर्जी के अनुसार देख सकते हैं, खाने-पीने का इंतज़ाम कर सकते हैं। यकीन मानिए यह सोचने भर से ही आपको पॉज़िटिविटी महसूस होगी कि आपने किसी जानवर का भला किया है। अगर सच में आप किसी जानवर के लिए करें, तो वह पल ज़रूर आपको सुकून देगा।
जानवरों के प्रति पॉज़िटिव नज़रिया
ऐसा देखा गया है जो लोग जानवरों के आसपास रहते हैं, वह ज़्यादा संवेदनशील और पॉज़िटिव होते हैं।
प्रकृति से जुड़ाव
बढ़ते विकास और शहरीकरण के कारण जंगली जानवरों की परिस्थिति सुधरेगी। लोगों का प्रकृति के साथ जुड़ाव बढ़ेगा।
जानवरों का ख्याल रखना हमारी ज़रुरत ही नहीं बल्कि ज़िम्मेदारी भी है। तो फिर देर किस बात की है, आइये कम से कम एक जानवर को गोद लें और अपने जीवन को पॉज़िटिविटी की ओर ले चलें।
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