कुछ लोग हमेशा अपने आसपास के लोगों को खुश करने में लगे रहते हैं, दूसरों के हर काम के लिए राज़ी हो जाते हैं। दरअसल, उन्हें लगता है कि इससे उनकी स्वीकार्यता और अहमियत बढ़ेगी, लेकिन होता उल्टा है। ऐसा करते रहने से न सिर्फ वह खुद को स्ट्रेस में डाल लेते है, बल्कि खुश रहना और अपने लिये जीना भी भूल जाते हैं।
अपने आसपास के लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाना चाहिये, लेकिन इसके लिये खुद को तकलीफ देने या तनावग्रस्त करने की ज़रूरत नहीं है। हर पल, हर खड़ी दूसरों को खुश करने की आदत से बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें।
‘ना’ कहना सीखें
मदद करना अच्छी बात है, लेकिन एक सीमा तक ही। याद रखिये कि आपके पास हमेशा ना कहने का विकल्प होता है। तो जब कभी आपको लगे कि सामने वाली की मदद करने में असमर्थ हैं, तो बिना किसी संकोच के उसे ना बोल दें।
अपनी प्राथमिकताएं तय करें
जब आप अपनी प्राथमिकताएं और मूल्य तय कर लेंगे, तो फिर खुद से सवाल करिये आखिर आपके लिए ज़्यादा मायने क्या रखता है? हमेशा दूसरों को खुशामद करते रहना या अपनी ज़िंदगी को बेहतर बनाने की कोशिश करना?
थोड़ा रुके
यदि कभी कोई आपसे मदद मांगे, तो तुरंत हां कहने की बजाय थोड़ा रुक जाये। पहले अपने आप से यह पूछे कि क्या आपके पास समय है, क्या इससे आप पर अतिरिक्त प्रेशर तो नहीं आयेगा, आप तनावग्रस्त तो नहीं हो जायेंगे? यदि आपको लगे कि आप उसकी मदद कर सकते हैं तो ही हां कहे।
अपने लिये समय तय करें
बेहतर होगा कि आप यह तय कर लें कि आप दिन के कितने घंटे लोगों के लिए उपलब्ध रहेंगे। यानी कोई रात को 12 बजे आकर आपको डिस्टर्ब न करें, इसलिये अपनी समय सीमा तय कर लें कि आप सुबह के 11 बजे से शाम को 6 बजे तक उपलब्ध रहेंगे।
फायदा उठाने वालों से सावधान
कुछ लोग मीठी-मीठी बातें करके और आपकी तारीफ करके आपसे अपना काम निकलवा लेते हैं। ऐसे लोगों से सतर्क रहने की ज़रूरत है क्योंकि ऐसे लोगों की मदद करने का कोई मतलब नहीं बनता, बल्कि इनका काम आपके ऊपर अतिरिक्त दबाव बनाता है।
किसी ज़रूरतमंद की सहायता करना और हमेशा दूसरों को खुश करने की आदत में बहुत अंतर होता है।
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