किसी भी व्यक्ति के दिमाग में कोई विचार आना बहुत ही साधारण सी बात है। ऐसा भी अक्सर होता है कि आपके दिमाग में एक साथ कई बातें चल रही होती हैं। लेकिन क्या आपके साथ ऐसा होता है कि कोई एक चीज़ आपके दिमाग में गोल-गोल घूमने लगती है? वो कोई भी चीज़ हो सकती है, जैसे किसी की बात, किसी चीज़ की प्लानिंग, कोई गाना, कोई बुरा सपना, किसी बात का पछतावा, किसी बात के घटने का डर या फिर बेहद आम बात कि आज आप खाने में क्या खाने वाले हैं। अगर आप उन लोगों में से हैं, जिनका दिमाग किसी चीज़ पर अटक जाता है और उस चीज़ को अपने दिमाग से निकाल नही पाते, तो सायकोलॉजी के मायनों में आपका दिमाग ‘स्टिकी’ है।
क्या है स्टिकी माइंड?
मार्टिन सीफ, पीएचडी, और सैली विंस्टन, सायडी (PsyD) के मुताबिक, इस तरह का दिमाग कुछ खास पैटर्न्स को पकड़ लेता है और बार-बार उसी के बारे में सोचता रहता है। ‘स्टिकीनेस ऑफ माइंड’ शब्द उस बायोलॉजिकल बेस्ड ट्रेट के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें व्यक्ति के मन में विचारों का एक लूप चलने लगता है। वो किसी बात की चिंता हो सकती है, भयावह छवियां हो सकती हैं, कोई कल्पनाशील उड़ान भरने की प्रतिभा या फिर कोई भी दूसरी चीज़ हो सकती है।
कैसे बचें इन स्टिकी थॉट्स से?
जो लोग इस तरह की परेशानी को महसूस करते हैं, वह इन विचारों से बचने के लिये तरह-तरह के तरीके अपनाते हैं, जैसे अपनी सोच से लड़ना और उसे दूर भगाने की कोशिश करना, अपने विचारों से ध्यान हटाकर कहीं और लगाना, उसके बारे में सोचने की बजाय कुछ और सोचना। इस मामले में डॉक्टर सीव और डॉक्टर विंस्टन की माने तो ये सभी कोशिशे बेकार हैं। इन कोशिशों के बावजूद भी आपके स्टिकी थॉट्स वापस आ सकते हैं और पहले से ज़्यादा परेशान कर सकते हैं।
जानकारों की माने तो ऐसे में अपने दिमाग से लड़ने की बजाय उसे शांत करने के तरीकों पर काम करें। ऐसे में आप मेडिटेशन की मदद ले सकते है। जब आप अपने और अपने दिमाग के बीच एक तीसरी चीज़ को बात करने के लिए ले आयेंगे, तो वह आपके अंदर आपके विचारों के बारे में जिज्ञासा पैदा करने में मदद करेगा और उन पर हंसने के लिए भी प्रोत्साहित करेगा।
अगर आप अपने ऐटिट्यूड को बदल देंगे, तो स्टिकी माइंड से जुड़ी हुई परेशानियों से राहत मिलेगी क्योंकि मेडिटेशन करने और ऐटिट्यूड बदलने से आप अपने विचारों को ठीक से समझ पायेंगे।
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