दीपक या दीया जलाने का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। शादी-विवाह, नामकरण, गृहप्रवेश के अलावा किसी भी शुभ काम की शुरुआत दीपक जलाने से ही की जाती है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे काम में सफलता मिलेगी। दीपक की रोशनी से ज़िंदगी का अंधेरा छंट जायेगा और सब शुभ होगा।
मंदिर और घर में भी लोग सुबह-शाम दीया जलाते हैं। दीया जलाने से घर में सकारात्मक विचार और शुद्धता आती है। दीये की लौ की मद्धम रोशनी काली रात में भी उम्मीद की रोशनी बिखेरती है। इसे समृद्धि से जोड़कर भी देखा जाता है और दीया जलाने के लिए इस्तेमाल होने वाले तेल को बुराई या नकारात्मक विचार माना जाता है, उसकी बाती को अहंकार और लौ आध्यात्मिक ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। यानी जब इंसान अपने बुरे विचारों और अहंकार को नष्ट कर देता है तो वह भी दीपक की लौ की तरह पवित्र व शुद्ध हो जाता है।
दीपक जलाने के फायदे
– हिंदू धर्म की तरह ही बौद्ध धर्म में भी दीपक जलाने की परंपरा है। ईसाई धर्म में दीपक की जगह मोमबती जलाते हैं। दीपक जलाने का संबंध सिर्फ धर्म से नहीं है, इसके कई और भी फायदे हैं।
– हिंदू धर्म में सभी लोग सुबह-शाम अपने घर के मुख्य दरवाजे और मंदिर में दीपक जलाते हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से घर में समृद्धि और खुशहाली आती है।
– दीपक की रोशनी पॉज़िटिव शक्तियों को आकर्षित करती है।
– दीपक जलाने के वैज्ञानिक फायदे भी हैं। घर में जब शुद्ध देशी घी या सरसों के तेल का दीपक जलाया जाता है, तो घर का माहौल सात्विक हो जाता है।
इंसान को भी दीपक की तरह बनना चाहिए और इसके लिए ज़रूरी है, ज्ञान। ज्ञान दीपक में मौजूद तेल/घी की तरह है, जो इंसान की नेगेटिविटी और अहंकार को मिटाकर उसे दीये की लौ की तरह पवित्र बनाता है। ज्ञान ही वह रोशनी है, जो न सिर्फ इंसान के खुद अपने, बल्कि उनसे जुड़े लोगों के जीवन में मौजूद अंधेरे को भी दूर सकता है।
ज्ञान का मतलब सिर्फ किताबी शिक्षा से नहीं है, बल्कि इसका असली मकसद तो तभी पूरा होगा, जब ज्ञानी और सक्षम इंसान ज़रूरतमंदों की मदद करें। उसमें संवेदना और इंसानियत आए और अपने स्वार्थ से आगे बढ़कर ऐसा काम करें, जिससे वंचित और ज़रूरतमंदों के जीवन में खुशी आ सके।
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