हम अक्सर किसी चीज़ या काम को लेकर जल्दी ही निराश हो जाते हैं। जैसे स्कूल या कॉलेज के प्रोजेक्टस पूरा न होने की स्थिति में, सहयोगियों और दफ्तर में काम के प्रेशर को लेकर, घरेलू जिम्मेदारियों को लेकर हम बेवजह निराशा के शिकार हो जाते हैं। हालांकि, हम में यह सोचने की ताकत होती है कि ये चीज़ें हकीकत में उतनी भी बोझिल नहीं हैं, जितना हम समझ रहे हैं। चुनौती और संघर्ष तो हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा है। हमें इस बात का खयाल रखना है कि उन चुनौतियों से कैसे निपटें और कैसे सीखें, ताकि निराशा हमारे आसपास भी न भटक सके।
आत्मविश्वासी बनें
निराशा की स्थिति में कभी भी अपने आत्मविश्वास को कमज़ोर न पड़ने दें। अपने आत्मविश्वास को दोबारा जगाने के लिए खुद को याद दिलाएं कि बुरे दौर से बाहर आने का आपका ट्रैक रिकार्ड इतना भी बुरा नहीं हैं। अतीत की अच्छी बातों और सफलताओं को याद करें। इससे निराशा में आशा का विश्वास जागेगा और आप उस काम को अच्छी तरह से कर पाएंगे।
अपने गुस्से पर काबू रखें
यह इंसान का स्वभाव है कि जब वह दुखी होता है, तो उसे हर एक बात पर गुस्सा आने लगता है। गुस्से को कम करने के लिए खुद पर काबू रखें, सामने वाले की बात को बड़े ही इत्मिनान से सुनें और जवाब दें। हो सकता है कि सामने वाला कोई ऐसी बात कह दे, जिससे आपको गुस्सा आ जाये, तो आप उस वक़्त अपने आप पर कंट्रोल करें।
अपने अंदर पॉज़िटिव सोच लाएं
इंसान जब परेशानी या दुख में होता है, तो वह नेगेटिव हो जाता है। आप कतई ऐसा ना करें क्योंकि ऐसा करने से आप और भी दुखी हो जाएंगे। पॉज़िटिव रहने के लिए अच्छे स्वभाव के लोगों से मिलें, मोटिवेशनल विचारों को पढ़ें। उस काम को करें, जिससे आपको ख़ुशी मिलती है। इससे आपको नेगेटिविटी का अहसास ही नहीं होगा और आप खुद ही पॉज़िटिव सोचने लगेंगे।
खुद पर रखें नियंत्रण
निराशा होने पर आप कैसा महसूस कर रहे हैं? आपके दिमाग में क्या विचार आ रहे है? और आप किस तरह का व्यवहार करते हैं? इस पर नियंत्रण जरूरी है। कभी-कभी परिस्थितियों के चलते लगता है कि हमें लगता है कि कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। ऐसे समय में निराश होने की बजाय सोचें कि आप कैसे खुद को नियंत्रित कर सकते हैं। छोटी जीत को भी कामयाबी मानें क्योंकि छोटी जीत भी आत्मविश्वास को बढ़ाने का काम करती है।
दिनचर्या को व्यवस्थित रखें
स्वस्थ तन में ही स्वस्थ मन बसता है, इसलिए अपने मन से नेगेटिव भावना को दूर करने के लिए नियमित योगाभ्यास और ध्यान करें। आप अपनी रूचि के अनुसार कोई अन्य काम भी कर सकते है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि दिन और रात की तरह जीवन में भी अच्छे–बुरे दौर का आना–जाना चलता रहता है। इसलिए हमें उम्मीदों का दामन कभी नहीं छोड़ना चाहिए।
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