बच्चों का ज़िद्दी होना कोई अनोखी बात नहीं है। यह एक सामान्य इंसानी बर्ताव है। आमतौर पर जब बच्चे अपनी मनमर्जी नहीं कर पाते या उन्हें अपनी मनचाही चीज नहीं मिलती है, तो वे मचलने लगते हैं और उनकी यह आदत धीरे-धीरे ज़िद का रूप ले लेती है, जिसमें वे अपने इमोशन्स रोकर, चीख-चिल्लाकर या नाराज़ होकर ज़ाहिर करते हैं। ऐसे बच्चों को थोड़ी सी मेहनत करके ही पटरी पर लाया जा सकता है।
ढ़ेर सारे विकल्प दें
जब आप बच्चों पर अपनी बात थोपते है, तो वे स्वभाव से विद्रोही होते चले जाते हैं और फिर जिस काम को आप मना करते है, वह वही काम करने लगते है। इसलिए किसी तरह का आदेश देने के बजाय उन्हें सुझाव और विकल्प दें। इससे बच्चा जल्द ही अपनी ज़िद छोड़ देगा।
बच्चों की बात भी सुनें
अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपको सुने, तो इसके लिए आपको खुद उनकी बात ध्यान से सुननी होगी। इसलिए शांति और धैर्य से उनकी बात सुनें। इससे उन्हें महसूस होगा कि वह भी परिवार का जरूरी हिस्सा है।
बच्चे को बच्चा ही रहने दें
कभी-कभी हमें भी बच्चा बनना चाहिए, ताकि समझ सकें कि बच्चा क्या महसूस कर रहा है? यदि वह स्ट्रैस में है, डरा हुआ या उदास है, तो आपके इस बिहेव से उसकी वजह भी पता चल जाएगी। बच्चे को उसका बचपन जीने दें।
खुद पेश करें उदाहरण
बच्चों पर अधिकार जताने के लिए चीख-चिल्ला कर बात करने से बेहतर है कि हम खुद उनसे बात करने का सलीका सीखें। अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे दूसरों के साथ प्यार से बात करें, तो पहले हमें ऐसा उदाहरण पेश करना चाहिए।
जबरदस्ती बिल्कुल न करें
अपनी मर्ज़ी का काम कराने के लिए ज़बरदस्ती करने से बेहतर है कि बच्चे की मर्ज़ी का सम्मान करते हुए उसके साथ बैठें और इस चीज़ में दिलचस्पी दिखाएं कि वे क्या कर या देख रहे हैं। ऐसा करने पर वे आपसे कनेक्टेड महसूस करेंगे।
बच्चों का सम्मान करें
अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपका और आपके फैसलों का सम्मान करे, तो आपको भी उनका सम्मान करना होगा। अगर आप उन पर हमेशा कुछ-न-कुछ थोपते रहेंगे, तो बच्चा आपकी अथॉरिटी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा।
बच्चों के लिए नियम बनाएं
बच्चों के लिए नियम बनायें और सुविधानुसार उनमें ढील भी दें। उनकी भावनाओं और विचारों को तुरंत मना न करें। इससे उन्हें यह एहसास होगा कि आफ उन पर भरोसा करते हैं। साथ ही अपने बच्चे के बारे में हमेशा पॉज़िटिव सोचे। जो भी आपके बच्चे ने अच्छा काम किया है, उसकी तारीफ करें।
ज़िद्दी बच्चों को संभालना है, तो बस उन्हें प्यार कीजिए। उनके साथ समय बिताइए। कुछ ही समय में बच्चा आपके कहे अनुसार व्यवहार करने लगेगा।
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