रुक जाना नहीं तू कही हार के, कांटों पे चल के मिलेंगे साये बहार के… इसलिए जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए और बार-बार प्रयास करते रहना चाहिए। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, बुला चौधरी। क्यों? क्योंकि, उन्हें खारे पानी से एलर्जी है, लेकिन इसके बावजूद वह सात समुद्र और पांचों महाद्वीपों के सी चैनल्स को तैरकर पार कर चुकी हैं और ऐसा करने वाली वह विश्व की पहली महिला भी हैं।
छोटी उम्र में शुरू की स्विमिंग
बुला की उम्र भले ही आज 48 साल की हो गई है, लेकिन उन्होंने स्विमिंग सिर्फ तीन साल की उम्र में शुरू की थी। बुला ने खुद ही स्विमिंग करना शुरू किया था और छह साल की उम्र में घर के पास बना छोटा सा तालाब उसके भविष्य की ट्रेनिंग की जगह बन गई। धीरे-धीरे बुला को पता चल गया कि उसे पानी से प्यार हो गया है, तभी तो महज 4 फीट 5 इंच लंबी और मात्र 34 किलो वेट वाली बुला मछली की तरह तैरने लगी थी। उनके टैलेंट को ट्रेनर्स ने भी पहचाना और जमकर तराशा।
इंग्लिश चैनल पार कर बनाया रिकार्ड
नौ साल की उम्र में बुला नेशनल चैपिंयन बन गई और फिर जल्द ही बुला के लिए स्विमिंग पूल छोटा साबित होने लगा क्योंकि वह समुद्र को जीतना चाहती थीं। ऐसे में उन्होंने साल1989 में इंग्लिश चैनल में तैरने की ट्रेनिंग लेनी शुरू की, तो पता चला कि उन्हें समुद्री पानी से एलर्जी है। लेकिन, इसके बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, क्योंकि उन्हें पता था कि ऐसी बाधाएं उनके सपने की राह का रोड़ा नहीं बन सकती हैं। साल 1989 में मात्र 19 साल की उम्र में उन्होंने चैनल में अपना पहला गोता लगाया और दस साल बाद यह कारनामा दोहरा भी दिया। दो बार इंग्लिश चैनल पार करने वाली वह प्रथम एशियाई महिला हैं।
सात समंदर किये पार
बुला चूंकि लंबी दूरी की तैराक थीं, तो उन्होंने स्ट्रेट ऑफ गिब्रालेटर को तीन घंटे और 35 मिनट तैराकी करके विश्व रिकार्ड बनाया और साल 2004 में वह सात समंदर पार जाने वाली पहली महिला बन गईं। इतना ही नहीं, वर्ष 2005 में पांच महाद्वीपों में समुद्री चैनलों में तैरने वाली पहली महिला भी बन गईं। ऐसा कारनामा करने के कारण जहां अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है और उन्हें साल 2003 में उन्हें ‘ध्यानचंद लाइफटाइम अचीवमेंट’ अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है।
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