हरियाणा में पटौदी के एक गांव में उस समय मातम छा गया, जब उस गांव के सबसे होनहार बेटे की शहादत की खबर आई। यूं तो पटौदी के कई गांवों के बहुत से बेटे फौज में भर्ती होते आये हैं, लेकिन कैप्टन कपिल कुंडु गांव का पहला बच्चा था, जिसे ऑफिसर की उपाधि मिली थी। इस खबर को सुनाने के लिये 26 जनवरी को करीब एक बजे कैप्टन कपिल ने अपने घर पर फोन किया, जब उनकी बात छोटी बहन से हुई थी।
वह इस प्रमोशन से बेहद खुद थे, और कुछ दिन बाद अपना 23वां जन्मदिन मनाने 10 फरवरी को छुट्टियों पर घर आने वाले थे। जब इस प्रमोशन के बाद उनका पुंछ से राजौरी तबादला हुआ, तो किसी ने नहीं सोचा होगा कि यह उनका आखिरी तबादला है। दरअसल, चार फरवरी को दोपहर साढ़े तीन बजे के करीब पाकिस्तान की ओर से होने वाली भारी शेलिंग में एक बंकर निशाना बना, जिसमें कैप्टन कपिल और उनके तीन साथी राइफलमैन राम अवतार (28 साल), शुभम सिंह (22साल) और हवलदार रोशन लाल (42 साल) शहीद हो गये।
कैप्टन कपिल का परिवार
कैप्टन कपिल अपने पीछे अपनी मां और दो बहनों को छोड़ गये। उनके पिता नागपुर की एक टाइल कंपनी में मैनेजर थे और छह साल पहले कपिल के जन्मदिन पर उनकी हार्टअटैक से मृत्यु हो गई थी। बेटे को खोने का गम तो बहुत है, लेकिन उनकी मां कहती हैं कि अगर उनका एक और बेटा होता, तो उसे भी मातृभूमि की सेवा करने के लिए भेज देतीं।
कपिल की एजुकेशन
कपिल ने शेरपुर गांव के पास डिवाइन डेल इंटरनेशनल स्कूल से पढ़ाई की। जिस समय उनके पिता कि मृत्यु हुई, तब उनके बोर्ड एग्ज़ाम चल रहे थे। सबको लगा कि यह सदमा उनके बोर्ड के प्रदर्शन को खराब कर सकता है, लेकिन इस सब के बावजूद उन्होंने 80% मार्क्स हासिल किये। इसके बाद साल 2013 में उन्होंने नेशनल डिफेंस अकेडमी (एनडीए) ज्वॉइन की। कपिल स्कूल के पहले बैच के स्टूडेंट थे, इसलिये स्कूल उनकी प्रोग्रेस को मॉनिटर करता रहा था। हालांकि मैथ्स और इंग्लिश उनके फेवरेट विषय थे, लेकिन उन्होंने सभी विषयों में अच्छा प्रदर्शन दिखाया था। स्कूल की प्रिंसिपल पूर्णा थालिया और कुछ टीचर्स को उन्होंने साल 2016 की अपनी पासिंग आउट परेड में भी बुलाया था।
देशवासियों को ऐसे वीर जवानों पर नाज़ है।
जय हिंद।
इमेज : फेसबुक
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