छोटा परदा यानी टीवी न सिर्फ हमारा मनोरंजन करता है, बल्कि कई ऐसे टीवी शोज़ भी बन चुके हैं जिन्होंने न सिर्फ सकारात्मक सोच को बढ़ावा दिया, बल्कि बच्चों में अच्छे संस्कार डालने के साथ ही उन्हें समाज के लिए कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित भी किया। टीवी के शुरूआती दौर में बने कई धारावाहिक ने सांस्कृतिक मूल्य और पॉज़िटिविटी बढ़ाने में बहुत मदद की। आज हम आपको कुछ ऐसे ही सीरियल्स के बारे में बताने जा रहे हैं।
बेहतरीन टीवी धारावाहिक
रामायण
रामानंद सागर की रामायण जब टीवी पर आती थी, तो बड़े से लेकर बच्चे तक हर कोई टीवी पर श्रीराम को देखने के लिए जुट जाते थे। इस धारावाहिक ने लोगों को राम के संस्कार और नैतिकता को दिखाकर उन्हें अपनी संस्कृति से जोड़ने का काम किया।
महाभारत
इतिहास की महान रचनाओं में से एक हैं रामायण और महाभारत जिसे हर कोई पढ़ नहीं सकता, मगर टीवी के माध्यम से लोगों क इसके बारे में और इसमें बताई गई सकारात्मक बातों के बारे में पता चलता है। 1988 में जब बीआर चोपड़ा ने महाभारत को टीवी के परदे पर दिखाया तो शायद खुद उनका भी अंदाज़ा नहीं रहा होगा कि यह इतना लोकप्रिय हो जाएगा। इस सीरियल के ज़रिए श्रीकृष्ण का उपदेश और ज्ञान सबका तक पहुंचा।
बुनियाद
भारत-पाकिस्तान के रिश्ते पर बना धारावाहिक बुनियाद में मानवीय मूल्यों को बेहतरीन तरीके से दिखाया गया। इस सीरियल ने भारत-पाक बंटवारे के दर्द को भी बहुत खूबसूरती से दिखाया।
फौजी
बतौर एक्टर यह शाहरुख खान का टीवी पर पहला सीरियल था। इस सीरियल में एक आम लड़के के बेहतरीन आर्मी ऑफिसर बनने की कहानी थी। फौजियों की ज़िंदगी पर बनी इस कहानी से लोग फौजियों के जीवन से रूबरू हुए।
भारत एक खोज
जवाहर लाल नेहरू की किताब ‘द डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ पर आधारित यह एक हिस्टोरिकल ड्रामा था। इसमें भारत के 5000 सालों के इतिहास दिखाया गया। इसे लिखा और निर्देशित किया था श्याम बेनेगल ने। यह बहुत ज्ञानवर्धक शो था।
सुरभि
आप में से शायद कुछ लोगों को यह शो याद होगा। भारतीय टेलीवीजन के इतिहास का एक बेहतरीन शो जिसमें भारतीय संस्कृति की विभिन्न पहलुओं से रू-ब-रू करवाया जाता था। देशभर की जानकारी देता ये शो लोगों के बीच बहुत प्रसिद्ध था।
नुक्कड़
निम्न आय वाला परिवार प्रतिदिन किन समस्याओं का सामना करता है, इसे इस धारावाहिक में दिखाया गया था। 90 के दशक का ये सीरियल जिन भी लोगों ने देखा होगा, उनके जेहन में अब भी उसकी यादें ताज़ा होंगी। शो को बहुत ही सादगी और यथार्थ चित्रण के साथ बनाया गया था।
पोटली बाबा की
1991 में दूरदर्शन पर आने वाला यह शो कठपुतलियों के नाच पर आधारित था। इसमें परियों की कहानियों को बहुत ही सादी भाषा में बताने के साथ ही बच्चों को नैतिक शिक्षा भी दी जाती थी। बच्चे इसे बड़े चाव से देखते थे।
विक्रम बेताल-
1988 में दूरदर्शन पर शुरू हुआ टीवी धारावाहिक विक्रम बेताल में राजा विक्रम के पीठ पर सवार बेताल पौराणिक कहानियां सुनाता था। इसकी हर कहानी में जीवन से जुड़ी कोई न कोई शिक्षा ज़रूर होती थी। इसे बच्चे से लेकर बुजुर्गं हर कोई बहुत पसंद करता था।
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