दीपावली मनाने के पीछे के उद्देश्य की बात की जाए, तो सत्य और उजाले की जीत का त्योहार है। इस दिन घर को सजाने और दीये जलाने की पुरानी परंपरा है। यह खुशियों का त्योहार है और लोग इसे जोश के साथ मनाते हैं, लेकिन याद रहे, कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। इसलिए इस बार अपनी दीपावली सेहत और सुरक्षा को ध्यान में रखकर ईको फ्रेंडली दीपावली मनाएं।
कैसे मनाएं ईको फ्रेंडली दीपावली?
पर्यावरण और सेहत को ध्यान में रखें और छोटी-छोटी सावधानियों पर ध्यान दें। ये तरीका न केवल आपके लिए अच्छा है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है। तो चलिए, ऐसे कुछ तरीकों के बारे में जानते हैं जिससे कि हम सभी इस बार ईको फ्रेंडली दीपावली मना सकें-
पुराने चीज़ों से घर सजाएं
केवल बाहर से कीमती चीज़ें लाने से ही घर को सजाया जा सकता है, ऐसा सोचना बिलकुल ही गलत बात है। क्योंकि आप अपनी पुरानी चीज़ों का सही इस्तेमाल कर उन्हें एक नया अवतार दे सकते हैं। यूट्यूब पर ऐसे बहुत से वीडियो हैं, जिससे कोई भी आसानी से पुरानी चीज़ों का इस्तेमाल कर घर को सजा सकता है।
पटाखों को बाय-बाय कहे
हममें से कई लोगों के बचपन की दीपावली आतिशबाजी और पटाखों की यादों से भरी पड़ी हो सकती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आतिशबाजी कभी भी पारंपरिक दीपावली का हिस्सा नहीं थी? अगर इस बात पर गौर करें, तो पटाखे आपको थोड़ी देर का मज़ा तो दे सकता है, लेकिन पर्यावरण के लिहाज़ से यह बेहद हानिकारक है। ये हवा को प्रदूषित करने के साथ-साथ ध्वनि प्रदूषण भी पैदा करते हैं, जो न केवल पक्षियों और जानवरों को बल्कि बच्चों और बुजुर्गों को भी प्रभावित करता है। साथ ही प्रदूषण का स्तर इतना बढ़ जाता है कि सामान्य स्थिति में आने में एक लंबा समय लग जाता है। इसलिए वायु और ध्वनि प्रदूषण की मार से बचने के लिए इस दीपावली पटाखों को हमेशा के लिए अलविदा कहे।
मिट्टी के दीयो से घर रोशन करें
सदियों पुरानी परंपरा है मिट्टी के दीये। पर्यावरण को सुरक्षित रखने का इससे बढ़िया और कोई विकल्प नहीं है। इसके इस्तेमाल करने से आप कुम्हार और लोकल कारीगरों को उनके रोजगार में न सिर्फ मदद करेंगे, बल्कि बिजली की खपत को कम करेंगे। साथ में सादे दीयों को पेंटिंग करने जैसे बहुत से फन गतिविधियां भी कर सकते हैं। दीयों को जलाने के बाद दोबारा इनका इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इसके टूटने या खराब होने पर ये मिट्टी में घुल जाएगा यानी पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं।
रंगोली हो ऑर्गेनिक
घर के आंगन और पूजा घर में केमिकल वाले रंगों का नहीं, बल्कि चावल या फूल आदि का इस्तेमाल कर रंगोली बनाएं। ये पुरानी परंपरा का अहसास कराने कराने के साथ-साथ खूबसूरत और रासायन मुक्त भी होगी। आप इसके लिए दाल, हल्दी और कुमकुम का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके अलावा गुलाब, गेंदा, कमल, अशोक की पत्तियों से भी रंगोली को सजा सकते हैं।
घर की हो मिठाई
बाज़ार से मिठाई आसानी से खरीदी जा सकती है, लेकिन उसमें इतना स्वाद और प्यार नहीं है। क्योंकि जो प्यार, स्वाद और सेहत को ध्यान में रखकर घर पर बनाई गई हो, वो बाज़ार की मिठाई में कहीं नहीं है। इसलिए सभी सामग्री लाकर घर में ही मिठाई बनायें और अपने पास पड़ोसियों के साथ मिल बांटकर खाएं। इससे प्यार और स्नेह बढ़ता है।
तोहफे हो हैंडमेड और पौधे
दीपावली पर तोहफे देने की परंपरा होती है। ऐसे में हाथों से बने तोहफे हो, तो खुशी दोगुनी हो जाती है। पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने के सबसे आसान तरीकों में से एक है अपने घर के आसपास कुछ हरा रोपण करना। इस साल अपने प्रियजनों को वायु शुद्ध करने वाले पौधे उपहार में दें। क्योंकि अभी कोरोना खतरा टला नहीं है और इस समय पौधों की बहुत ज़रूरत है।
आप चाहे तो अपन
ज़रुरतमंदों की मदद करें
दीवाली में तो सभी अपने घरों की साफ सफाई ज़रुर करते हैं। ऐसे में हो सकता है की आपके घर में भी ऐसी कुछ वस्तु या सामान निकले, जो कि पुरानी हो और आप उनका इस्तेमाल नहीं करते हो या फिर कई दिनों या सालों से पड़ी है, जो आपके काम की चीज़ न हो। ऐसे चीज़ों को बाहर फेंकने की बजाय ज़रूरतमंदो को देकर उनके चेहरे की रौनक बढ़ाएं।
तो फिर इस बार कोरोना को ध्यान में रखते हुए सुरक्षित और ईको फ्रेंडली दीवाली मनाएं। आप सभी को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएं।
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