मिस्टर शर्मा का 17 साल का लड़का रोहन अचानक से चुप रहने लगा, परीक्षा में उसके नंबर भी कम आने लगे। छुट्टी के दिन हमेशा दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने वाला रोहन चुपचाप कमरे में बंद रहने लगा। उसकी इस हालत को देखकर जाहिर है, पैरेंट्स बहुत परेशान हो गये। ये तो शुक्र है कि उसके पैरेंट्स समझदार निकले और रोहन पर गुस्सा करने की बजाय पहले तो उससे प्यार से पूछा कि आखिर क्या हुआ है और फिर साइकोलॉजिस्ट के पास गए।
दरअसल, रोहन डिप्रेशन का शिकार हो गया था। पीयर प्रेशर और बार-बार दोस्तों के ताने की वह स्मार्ट नहीं दिखता, लड़कियां उसे भाव नहीं देती आदि की वजह से वह डिप्रेशन में चला गया था। बस सबसे अच्छी बात यह रही कि उसके पैरेंट्स ने वक्त रहते उसमें आ रहे बदलाव को नोटिस किया और तुरंत साइकोलॉजिस्ट से मदद ली। रोहन अब पूरी तरह से ठीक है। रोहन की उम्र के बच्चों में डिप्रेशन आजकल बहुत आम हो गया है। ऐसे में पैरेंट्स को अलर्ट रहने की ज़रूरत है ताकि समय रहते वह बच्चों को इससे बाहर निकाल सकें।
क्या है वजह?
डिप्रेशन के लिए किसी एक कारण को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। कभी पढ़ाई का प्रेशर, तो कभी पैरेंट्स का भावनात्मक दवाब, एग्ज़ाम में अच्छा न कर पाना, सामाजिक दवाब, दोस्तों का प्रेशर, दवाई या जीवन में हुआ कोई हादसा भी डिप्रेशन की वजह हो सकता है। अगर समय रहते इस पर गौर न किया जाये, तो इससे बीमार लोग आत्महत्या जैसा खतरनाक कदम भी उठा लेते हैं। इसलिए इस उम्र में पैरेंट्स को बच्चों पर कड़ी नज़र रखनी चाहिए ताकि उन में हो रहे बदलाव को नोटिस किया जा सके।

डिप्रेशन से बचने के उपाय
जब कभी पैरेंट्स को यह महसूस हो कि बच्चा डिप्रेशन में जा रहा है, तो अपने बच्चे की मदद के लिए कुछ खास चीज़ों का ध्यान रखें।
नए दोस्त बनायें
बेटा/बेटी को नए लोगों से मिलवायें और नए दोस्त बनाने के लिए प्रेरित करें, इससे उनके दिमाग में चल रहे नेगेटिव विचार दूर हो जाएंगे।
हॉबी क्लास
बच्चे की जिस भी चीज़ में दिलचस्पी हो, उससे जुड़ी किसी एक्टिविटी या हॉबी क्लास में एडमिशन करवा दें। अपनी पसंद का काम करने पर उसे अच्छा महसूस होगा।
बिज़ी रखें
बच्चे को अकेला न छोड़े। कोई खेल, पढ़ाई या किसी भी तरह के दूसरे काम में बिज़ी रखने की कोशिश करें। उसे दिल की बात शेयर करने के लिए प्रेरित करें।
किताबें पढ़ने को कहें
पॉज़िटिव सोच को बढ़ावा देने के लिए उन्हें पॉज़िटिव किताबें लाकर दें।
बस, थोड़ी सी सावधानी और सर्तकता बरतकर बच्चों को डिप्रेशन से बचाया जा सकता है।
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