डिप्रेशन लाइलाज नहीं है, डॉक्टर की मदद से तो आप इस समस्या से उबर ही सकते हैं। साथ ही आपको अपने स्तर पर भी कोशिश करनी होगी, क्योंकि यह एक मानसिक बीमारी है तो 100 फीसदी इलाज डॉक्टर नहीं कर सकता, जब तक कि आप अपनी तरफ से कोशिश न करें। डिप्रेशन से बाहर आने के लिए आपको क्या करने की ज़रूरत है? आइए, जानते हैं।
दवा और थेरेपी
यदि डिप्रेशन की समस्या बहुत गंभीर हो गई है तो बिना डॉक्टर की मदद के पीड़ित के लिए इससे बाहर आना बहुत मुश्किल होता है। डॉक्टर पहले मरीज की काउंसलिंग करता है ताकि उसे मरीज की भावनाओं, विचारों और सोचने के तरीके के बारे में पता चले। उसके हिसाब से वह मरीज को कुछ काम या गतिविधि में व्यस्त रखता है। इसके साथ ही डिप्रेशन कम करने के लिए कुछ दवाइयां भी दी जाती हैं।
खुद करें कोशिश
डिप्रेशन से बाहर आने के लिए पीड़ित व्यक्ति को अपने स्तर पर भी कोशिश करनी होती है और यही सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होता है।
भावनाओं को दबाए नहीं
आज आप दुखी हैं तो इस बात को स्वीकार कर लें और यदि आपके चेहरे पर यह भाव दिख रहा है तो उसे छुपाने की कोई ज़रूरत नहीं है। लेकिन हां अपनी उदासी या दुख को दूर करने की कोशिश ज़रूर करें। दुख में डूब रहने की बजाय कोई दूसरा काम करके उसे भूलने की कोशिश करें। आज मन उदास हैं तो संगीत सुन लें या अपना पसंदीदा कोई काम करें जैसे पेंटिंग, गार्डनिंग, किताब पढ़ना आदि।
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जो आज है वही आपका भविष्य नहीं है
एक बात हमेशा याद रखिए कि जो आज हुआ या जो आज कि स्थिति है कल भी वही नहीं रहने वाली, इसलिए आज की असफलता के लिए यह सोचकर दुख मत मनाइए कि आप कल भी असफल हो जाएगा। हर आने वाला कल नई उम्मीद लेकर आता है, तो आज को आने वाले कल से न जोड़ें।
प्रकृति के बीच समय बिताएं
जब भी मूड खराब हो तो गार्डन में टहलने निकल जाएं। रंग-बिरंगे फूल और हरियाली देखकर आपको अच्छा महसूस होगा और आपकी उदासी दूर हो जाएगी।
अपनों के साथ समय बिताएं
माना कि जब आप अवसाद यानी कि डिप्रेशन में होते हैं तो किसी से बात करने का मन नहीं करता, लेकिन इससे समस्या और बढ़ जाएगी। खुद को बदलने की कोशिश करें और जितना ज़्यादा हो सके परिवार के साथ रहने की कोशिश करें।
छोटे लक्ष्य तय करें
इस बात को समझिए कि आप 100वीं सीढ़ी एक बार में ही नहीं चढ़ जाएंगे, इसके लिए एक-एक करके आपको आगे बढ़ना होगा। इसलिए खुद के लिए बहुत मुश्किल लक्ष्य तय न करें और यदि करना भी हैं तो उसे टुकड़ों में बांट दें जैसे कोई काम एक दिन में करने की बजाय उसे 4/5 दिन में करें।
जीवनशैली में बदलाव
जीवनशैली का असर न सिर्फ आपके शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी होता है। इसलिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना ज़रूरी है।
- रोज़ाना सुबह उठकर योग, मेडिटेशन और कसरत करें।
- पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें। जंक और फास्ट फूड से दूर रहें।
- अकेलेपन को दूर करने के लिए हमेशा परिवार और दोस्तों से जुड़े रहें।
- पर्याप्त नींद लें, इसके लिए रात के समय गैजेट्स से दूर रहें।
- तनाव कम करने की कोशिश करें।
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