टोलरेंस, यानी सहनशीलता इंसान के अच्छे विचार तथा व्यवहार का प्रतीक है। इसे इमोशनल या मेंटल स्ट्रेंग्थ भी माना जाता है। टोलरेंस का अर्थ है सहन करना और जीवन को बेहतर बनाने के लिए इंसान को सहनशील होना जरूरी हैं। हालांकि, टोलरेंस बनना टफ है, पर मुश्किल कतई नहीं है। अगर आप भी सहनशील बनना चाहते हैं, तो इन गुणों को डेवलप करें-
अपनी भावनाओं को करें कंट्रोल
अगर आपको किसी की कोई चीज़ परेशान करती है, तो ऐसी चीजों पर रिएक्ट करने से बेहतर है कि उससे दूरी बनाएं। हो सकता है कि उस शख्स को आपकी भावनाओं की समझ न हो, ऐसे में आप खुद को ही बदलने के लिए तैयार करें। जिस इंसान के कारण आप परेशान हो रहे हैं, उसके अतीत और वर्तमान स्थिति को जानें। इसके बाद अपनी समस्या की जड़ तलाशे।
अपने ईगो को जांचें
अक्सर कई बार लोगों की बातें इतनी ज्यादा परेशान करने लगती है कि आप उन बातों को अपनी ईगो पर ले लेते है। इस वजह से आप अपना मेंटल या इमोशनल बॉर्डर पार करने लगते हैं। इसलिए ईगो को कंट्रोल करने का प्रयास करें और इसके लिए सहनशील होना बहुत जरूरी है। इसमें मेडिटेशन आपकी मदद कर सकता है। इसके जरिये आप दूसरों की परेशान करने वाली चीज़ों को आसानी से समझ सकते हैं। यानी, आप किसी बात पर रिएक्ट करने से पहले खुद को शांत करके जांचना सीख सकते हैं, जो आपको पेशंस के साथ शांत चित्त से रिएक्ट करने की ओर बढ़ाएगा।
खुद में लाएं बदलाव
जिस तरह से ब्रह्मांड यानी यूनिवर्स में बदलाव होता रहता है, उसी तरह आप भी अपने आसपास के लोगों और परिस्थितियों के दम पर खुद में बदलाव ला सकते हैं। इसके लिए आप अपने बेमतलब के इमोशनल रिएक्शंस को दूर रखें, तो स्वाभाविक रूप से आप में बदलाव आएगा। यह समझने की ताकत केवल आप में है कि कौन आपको किस हद तक परेशान कर सकता है। ऐसा करके आप अपना ध्यान उस व्यक्ति या अपने अनुभव पर फोकस कर सकते हैं।
प्रैक्टिस से आती है सहनशीलता
अगर आप दूसरों की बातों को धैर्य से डील करने की ओर बढ़ेंगे, तो हमेशा तारीफ मिलेगी। यानी, धैर्य ही आपको सहनशील बनने में मदद करेंगा। जीवन में कभी भी नकल करने से टोलरेंस नहीं आती। यह कला खुद के अंदर डेवलप करनी पड़ती है।
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