पुराने काव्यों में हमने तीर-धनुष का इस्तेमाल करते देखा है। तीर-धनुष भारत का पारंपरिक अस्त्र है और हमारे इस पुरानी परंपरा का दुनिया में डंका बजाया है तीरंदाज दीपिका कुमारी ने। हाल ही में रविवार को विश्व कप के तीसरे चरण में शानदार प्रदर्शन करते हुए तीरंदाजी का तीसरा स्वर्ण पदक अपनी झोली में डाल लिया। भारतीय तीरंदाज अतनु दास और उनकी पत्नी दीपिका कुमारी की जोड़ी ने नीदरलैंड के जेफ वान डेन बर्ग और गैब्रिएला शोलेसर की जोड़ी को मिश्रित टीम स्पर्धा के फाइनल में हराकर भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता।
इस मुकाबले में पहले भारतीय जोड़ी 0-2 से पिछड़ रही थी, हालांकि बाद में शानदार वापसी करते हुए अतनु दास और दीपिका कुमारी की जोड़ी ने नीदरलैंड के खिलाफ 5-3 से जीत हासिल की। इसके साथ ही इस वर्ल्डकप में भारतीय टीम को प्रतियोगिता का तीसरा स्वर्ण पदक मिल गया। इससे पहले दीपिका, अंकिता भगत और कोमोलिका बारी की महिला रिकर्व टीम ने मेक्सिको पर 5-1 से जीतकर स्वर्ण पदक भारत के नाम किया था।
पति-पत्नी की जोड़ी ने रच दिया इतिहास
अतनु दास और दीपिका कुमारी की जोड़ी ने भारत के लिए तीसरा स्वर्ण पदक जीतने के बाद कहा कि यह बहुत ही शानदार अहसास है। उन्होंने बताया कि हम एक साथ पहली बार फाइनल में खेल रहे थे। हमने एक साथ जीत हासिल की, जिसकी बहुत ही खुशी महसूस हो रही है। दोनों ने पिछले साल ही शादी की थी। इन दोनों की 30 जून को शादी की पहली वर्षगांठ है।
अतनु दास ने कहा कि हालांकि हम पति-पत्नी है, लेकिन मैदान में हम एक युगल की तरह नहीं बल्कि प्रतिस्पर्धियों की तरह एक-दूसरे को प्रेरित करते हैं। उन्होंने बताया कि वह एक-दूसरे का सहयोग और समर्थन करते हैं। बता दें कि दीपिका कुमारी दुनिया की पूर्व नंबर एक खिलाड़ी रह चुकी हैं। उनके लिये यह पहला मिश्रित युगल स्वर्ण पदक है। दीपिका इस स्पर्धा में पांच रजत और तीन कांस्य पदक जीत चुकी हैं।
दीपिका ने इस साल विश्व कप में महिला टीम को लगातार दूसरा स्वर्ण पदक दिलाया था। दीपिका ने कहा कि उन्हें बहुत ही खुशी हो रही है। इससे पहले दुनिया की तीसरे नंबर की तीरंदाज दीपिका, अंकिता और कोमोलिका की तिकड़ी ने वर्ल्डकप के पहले चरण में फाइनल खेलते हुए मेक्सिको को हराकर पहला स्थान हासिल किया था। तीसरे चरण में भी इस टीम ने मेक्सिको को हराया और स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
मात्र 18 साल में बन चुकी हैं वर्ल्ड नंबर वन
दीपिका मात्र 18 साल की उम्र में वर्ल्ड की नंबर वन खिलाड़ी बन चुकी हैं। उन्होंने विश्व कप प्रतियोगिताओं में अब तक 9 गोल्ड मेडल, 12 सिल्वर और 7 ब्रॉन्ज मेडल जीता है। वह कहती हैं कि उनकी नजर अब ओलंपिक गोल्ड मेडल जीतने पर है। अगले महीने टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने के लिए वह जापान जा रही हैं। सबसे अहम बात है कि वह भारत की तरफ से तीरंदाजी टीम में ओलंपिक में भाग लेने जा रही अकेली महिला हैं।
गरीबी से निकलकर बनीं भारत की नंबर वन तीरंदाज
दीपिका कुमारी झारखंड के बहुत ही गरीब परिवार में जन्मी थीं। पिछले 14 सालों में उन्होंने गरीबी से निकलकर एक लंबा सफर तय किया है। दीपिका के पिता शिव नारायण महतो एक ऑटो-रिक्शा ड्राइवर थे। उनकी मां गीता महतो एक मेडिकल कॉलेज में ग्रुप डी की कर्मचारी हैं। दीपिका का जब जन्म हुआ था तब उनके घर की आर्थिक हालत बहुत खराब थी। उनके पिता बताते हैं कि वह बहुत गरीब थे। उनकी पत्नी 500 रुपये तनख्वाह पर काम करती थीं। दीपिका का जन्म एक चलते ऑटो में हुआ था क्योंकि उनकी मां अस्पताल नहीं पहुंच पायी थीं।
नदी में जाकर नहाना पड़ता था
दीपिका रांची से 200 किलोमीटर दूर खरसावां आर्चरी एकेडमी पहुंचीं। यहां से चुनौतियों की शुरुआत हुई। उन्हें पहली बार खारिज कर दिया गया, क्योंकि वह बहुत पतली-दुबली थीं। इसके बाद दीपिका ने एकेडमी से तीन महीने का समय मांगा और खुद को साबित किया। एकेडमी में बाथरूम नहीं थे। उनको नहाने के लिए नदी पर जाना पड़ता था। एकेडमी में रात में जंगली हाथी आ जाते थे।
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