बच्चों के आने से जीवन में खुशियां छा जाती है, लेकिन उनकी परवरिश आसान नहीं है। रातों की नींद और दिन का चैन खोने के साथ ही माता-पिता को बहुत त्याग भी करने पड़ते हैं। बच्चों की सही परवरिश कैसे की जाये, इसका कोई निश्चित फॉर्मूला नहीं है। हर पैरेंट्स अनुभव से ही सीखते हैं, लेकिन दुनिया के कुछ देशों में बच्चों की परवरिश के कुछ खास तरीके से की जाती है। चलिये आपको दुनिया भर के पैरेंटिंग सीक्रेट्स बताते हैं ताकि आपकी थोड़ी मदद हो जाये।
फ्रांस
इस देश में मां थोड़ी स्ट्रिक्ट होती हैं। वह बच्चों की कोई भी डिमांड तुरंत पूरी नहीं करती और शुरुआत से ही उन्हें एक सीमा में रहना सिखाती हैं। जैसे- खाना खाते समय धैर्य रखें और रात में जंक फूड न खायें। साथ ही जब बच्चा रोता है, तो तुरंत उसे चुप कराने के लिये नहीं दौड़ती, बल्कि कुछ देर नोटिस करती हैं कि क्या वह सचमुच रो रहा है। दरअसल, कई बार बच्चे अपनी कोई बात मनवाने के लिए रोने का नाटक भी करते हैं।
जापान
यहां बच्चों की परवरिश का तरीका पूरी दुनिया से बिल्कुल अलग है। दरअसल, यहां पैरेंट्स बच्चों से इतना लाड़-प्यार नहीं जताते कि वह बिगड़ जाये। बहुत कम उम्र से ही बच्चों को आत्मनिर्भर बनना सिखाया जाता है और छोटी उम्र से ही वह अकेले स्कूल जाने लगते हैं। पब्लिक प्लेस पर पैरैंट्स न तो बच्चों को पुचकारते हैं और न ही उनकी किसी उपलब्धि को लेकर शेखी बघारते हैं। वह बच्चों को शुरू से ही अनुशासन में रहने की सीख देते हैं।
चीन
चीन में पैरेंट्स छोटी उम्र से ही बच्चों को स्वतंत्र बनाते हैं, लेकिन साथ ही उसे अपने फैसलों और रोज़मर्रा के काम में भी शामिल करते हैं। यहां बच्चों को खासतौर से बड़ों का सम्मान करना सिखाया जाता है। पारंपरिक रूप से हालांकि यहां पैरेंट्स और बच्चों का जुड़ाव बहुत गहरा होता है, बावजूद इसके पैरेंट्स बच्चों की गलतियों की ज़िम्मेदारी खुद नहीं लेते, जैसा की आमतौर पर हमारे देश में होता है।
डेनमार्क
पैरेंटिंग का डैनिश तरीका बच्चों को खुशहाल रूप से पालने का है। यहां पैरेंट्स बच्चों की परवरिश को बोझ नहीं समझते बल्कि उसे एंजॉय करते हैं।
दुनियाभर में पैरेंटिंग से जुड़ी ढ़ेरों किताबें भी हैं, लेकिन एक बात हर पैरेंट्स को याद रखनी चाहिये कि कोई भी परफेक्ट पैरेंट नहीं है। हर माता-पिता अपनी गलतियों और अनुभव से ही सीखते हैं। बच्चों की सही परवरिश और उन्हें समय देना ज़रूरी है, लेकिन इस बीच यदि आपने खुद के लिए थोड़ा समय निकाल लिया, तो इसमें कुछ गलत नहीं है। पैरेंट बनने के बाद भी आपको खुद के लिए थोड़ा-सा जीने का हक है।
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