तमिलनाडु के नारायणसामी के दोनों हाथों का सफल प्रत्यारोपण मेडिकल साइंस की बहुत बड़ी उपलब्धि है। दुर्घटना में दोनों हाथ गंवा चुके नारायणसामी शख्स अब बिल्कुल नॉर्मल तरीके से अपनी ज़िंदगी जी सकते है और यह सब हुआ है समर्पित डॉक्टरों की वजह से, इसलिए तो डॉक्टरों की तुलना भगवान से की जाती है।
13 घंटे की सर्जरी
30 साल के नारायणसामी को सरकारी अस्पताल में नौकरी मिल चुकी हैं और अब अपने नए हाथ और नई नौकरी से वह बहुत खुश हैं। उनके मुताबिक, 2015 में कंस्ट्रक्शन साइट पर करंट लगने से उनके दोनों हाथ काटने पड़े थे। इस घटना के बाद वह बुरी तरह टूट गए थे, लेकिन साल 2018 में जब चेन्नई के स्टेनली मेडिकल कॉलेज अस्पताल से प्रत्यारोपण के लिए फोन आया तो उनके दिल में थोड़ी उम्मीद जगी। 13 घंटों के ऑपरेशन के बाद आखिरकार उनके दोनों हाथों का सफल प्रत्यारोपण कर दिया गया। नारायणसामी को दुर्घटना में ब्रेड डेड हो चुके एक शख्स के हाथ लगाए गए हैं और यह प्रत्यारोपण कोहनी से नीचे किया गया है। देश में पहली बार किसी शख्स के दोनों हाथों का सफल प्रत्यारोपण हुआ है।

दूसरों के सहारे की ज़रूरत नहीं
करीब एक साल तक फिज़ियोथेरेपी और डॉक्टरों की देखभाल के बाद अब नारायणसामी अपने हाथों से कंघी कर सकते हैं, फोन उठा सकते हैं, कॉफी मग पकड़ सकते हैं और खुद ही तैयार हो सकते हैं। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें अभी और फिज़ियोथेरेपी की ज़रूरत है। इसके बाद वह अपने नए हाथ का और बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं। सबसे पॉज़िटिव बात यह है कि स्टेनली अस्पताल ने प्रत्यारोपण के लिए नारायणसामी से कोई फीस नहीं ली है। नारायणसामी को अपने हाथों से काम करते देख अस्पताल के सर्जन और नर्स बहुत गर्व महसूस कर रहे हैं और नारायणसामी प्रत्यारोपण के लिए डॉक्टरों का शुक्रिया अदा करते नहीं थक रहे।
अंगदान के लिए प्रेरणा
इस तरह के मामलों से पता चलता है कि अंगदान कितना महत्वपूर्ण है। हालांकि अंगदान के मामले में तमिलनाडु बाकी राज्यों से आगे है, लेकिन अभी भी डॉक्टर ब्रेड डेड हो चुके मरीजों के परिवार को अंगदान के लिए राजी नहीं कर पाते हैं।
हमारे देश में अंगदान को लेकर लोगों में जागरुकता की कमी है। यदि इसे लेकर जागरुकता बढ़ें, तो यकीनन नारायणसामी जैसे कई और लोगों की ज़िंदगी संवर सकती हैं।
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