देश के पहले गृहमंत्री रहे सरदार वल्लभभाई पटेल ने आज़ादी के बाद कई रियासतों को भारत में मिलाकर अखंड भारत का निर्माण किया था। लौह पुरूष कहे जाने वाले वल्लभभाई का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के खेड़ा जिले में हुआ था। बेहतरीन प्रशासक और इरादों के पक्के सरदार वल्लभभाई पटेल के जन्मदिन पर आपको उनकी ज़िंदगी से जुड़े एक ऐसे किस्से के बारे में बताते है, जिसे शायद ही आपने पढ़ा और सुना हो।
सादगी और नम्रता की मूर्त
यह बात उन दिनों की है, जब वल्लभभाई पटेल भारतीय लेजिस्लेटिव असेंबली के प्रेजिडेंट थे। एक दिन वह अपना काम करके घर जा रहे थे, तो असेंबली में उनसे अंग्रेज दंपति टकरा गये। दपंति को लगा कि असेंबली में वह कोई मामूली इंसान है। इसलिये उन्होंने वल्लभभाई पटेल को असेंबली घुमाने को कहा।
हालांकि वल्लभभाई पटेल उन्हें उस समय अपनी पोस्ट के बारे में बता सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा न करते हुये नम्रतापूर्वक अंग्रेज दंपति को पूरी असेंबली में घुमाया।

दंपति उनके काम से इतने खुश हुये कि वह उन्हें बख्शीश देने लगे पर वल्लभभाई पटेल ने लेने से मना कर दिया और फिर उनसे विदा लेकर वह घर चले गये।
दंपति हुये हैरान
दरअसल असेंबली घूमते समय दंपति को एहसास ही नहीं हुआ कि उन्हें घुमाने वाले कोई मामूली व्यक्ति नहीं है, बल्कि वह प्रेजिडेंट है। अगले दिन वही अंग्रेज दंपति असेंबली की कार्यवाही देखने गये। दर्शक दीर्घा में बैठे अंग्रेज दंपति तब हैरान रह गये, जब उन्होंने देखा कि सरदार पटेल सभापति की कुर्सी पर आकर बैठे।

उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा था कि जिसने उन्होंने कल पूरी असेंबली घुमाया, वह खुद प्रेजिडेंट थे। सादे पहनावे के कारण उन्होंने सरदार पटेल को चपरासी समझ लिया था। अपनी गलती महसूस होने पर दंपति ने वल्लभभाई पटेल से माफी भी मांगी।
शिक्षा
सरदार पटेल के साथ हुआ ये वाक्या सिखाता है कि आप चाहे कितनी भी बड़ी पोस्ट पर पहुंच जाये, पर अपने जीवन में नम्रता और सादगी हमेशा बनाये रखें। इन्हीं गुणों से आप जीवन में आगे बढ़ सकते हैं।
“मान सम्मान किसी के देने से नहीं बल्कि अपनी योग्यता के अनुसार ही मिलता है। “- सरदार वल्लभभाई पटेल
इमेज : विकिपीडिया
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