पारसी नववर्ष की शुरूआत पारसी समुदाय बड़े धूमधाम से मनाता है। इसे नवरोज़ कहा जाता है और इस मौके पारसी समुदाय के लोग नये कपड़े पहनते हैं, तरह-तरह के पकवान बनाते हैं और गुलाबजल छिड़कर मेहमानों का स्वागत करते हैं। इस दिन दान भी किया जाता है और फायर टेंपल में जाकर प्रार्थना की जाती है।
इस मौके पर आपको बताते हैं, पारसी समुदाय से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें-
– पारसी धर्म ईरान के प्राचीन धर्मो में से एक है, जो ज़न्द अवेस्ता नाम के एक धर्मग्रन्थ पर आधारित है। इस धर्म के संस्थापक महात्मा ज़रथुष्ट्र को माना जाता है।
-पारसी समुदाय अहुरा मज़्दा या होरमज़्द को अपना ईश्वर मानते हैं।
– आमतौर पर नये साल को नवरोज़ के नाम से जाना जाता है, लेकिन इसके कई और भी नाम है जैसे पतेती, जमशेदी और ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार नया साल वसंत के मौसम में आता है, जब दिन और रात बराबर होते है।
– पारसियों की संख्या बहुत कम हो गई है, लेकिन भारत में महत्वपूर्ण पदों पर पारसी रह चुके हैं। साइंटिस्ट होमी जहांगीर भाभा, वाडिया ग्रुप, गोदरेज, जेआरडी टाटा जैसे सफल बिज़नेसमैन और भारत के पहले एयरफील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ पारसी समुदाय के थे।
-इस समुदाय को बचाने के लिए सरकार ने सितंबर 2013 में ‘जियो पारसी स्कीम’ लॉन्च की थी।
– पारसी समुदाय शव को जलाते या दफनाते नहीं है, बल्कि एक टावर में गिद्धों को खाने के लिए डाल देते हैं इस प्रथा को दोखमेनाशिनी कहते हैं। हालांकि गिद्धों की संख्या कम होने पर अब इलेक्ट्रिक से शवों को जलाया जाने लगा है।
– पारसी लोग आग को ईश्वर की शुद्धता का प्रतीक मानते हैं और इसीलिए आग की पूजा करते हैं। उनके मंदिर को फायर टेंपल कहते हैं।
– भारत सबसे ज़्यादा पारसी मुंबई शहर में ही रहते हैं।
– पारसी आमतौर पर गुजराती या अंग्रेजी बोलते है, लेकिन उनकी भाषा अवेस्तान है।
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