अगर आप पूरी दुनिया में महिलाओं के पहनावे की बात करें, तो यह कहना कतई गलत न होगा कि दुनियाभर के विभिन्न परिधानों को मिला दिया जायें, तो भी भारत के अलग अलग राज्यों में महिलाओं के परिधानों की विभिन्नता कहीं ज्यादा होगी। पर इसके साथ इसमें भारत की अनमोल संस्कृतियों की भी झलक मिलती है।
कुछ ऐसे ही भारत के राज्य और उनसे जुड़े पहनावे का जिक्र किया गया है, जो सिर्फ लिबास ही नहीं बल्कि अपने आप में संस्कृति भी है, जिसने युनेस्को जैसे अंतरर्राष्ट्रीय संस्थान की भी प्रशंसा हासिल की है।
असम
इस राज्य में महिलाओं का पहनावा ‘मेखला’ कहलाया जाता है, जो कई प्रकार का होने का साथ-साथ काफी जीवंत भी होता है। असम में अलग अलग जनजातियों की महिलाएं इसे अलग अलग तरीके से पहनती है। जैसे, बोडो जनजाति की महिलाएं मेखला को चादर के साथ पहनती हैं और थाई फाके जनजाति की महिलाएं चिरचिन नाम की धारीदार बेल्ट के साथ इसे पहनती हैं।
कोलकाता
सफेद साड़ी और लाल बॉर्डर देखते ही आप समझ जाते है कि यह महिला बंगाली है। कॉटन से बनी यह लाल-सफेद साड़ी ज़्यादातर त्योहारों और शुभ कामों के लिए पहनी जाती है। साड़ी पहनने का तरीका ‘ब्रिटिश कैपिटल ऑफ कोलकाता’ से जन्मा था। इस प्रांत की महिलाएं ज़्यादातर सिल्क, कॉटन और शिफॉन की साड़ियां पहनती हैं।
उत्तर प्रदेश
इतिहास के लिहाज़ से उत्तर प्रदेश एक महत्वपूर्ण राज्य है, क्योंकि यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों संस्कृतियों का मेल पाया जाता है। यहां सलवार-कमीज़ और घाघरा चोली, दोनों ही परिधान पहने जाते हैं। महिलाएं, घाघरा-चोली-ओढ़ना की जगह साड़ी को भी उसी ढ़ंग से पहनती हैं। प्रदेश की राजधानी लखनऊ ‘चिकनकारी’ के लिए जानी जाती है, तो वही बनारस अपनी विशेष साड़ियों के लिए प्रसिद्ध है।
गुजरात
गुजरात की महिलाएं चनिया-चोली पहनती हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि यह लहंगे का कौन सा प्रकार हैं, तो नवरात्रि का समय याद कर लीजिए। महिलाएं ‘कच्छ वर्क’ और ‘मिरर वर्क’ से सजे भारी लेकिन रंगीन और आकर्षक परिधानों में नज़र आती हैं। इसके साथ वे ऑक्सीडाइज़्ड ज्वेलरी भी पहनती हैं।
पंजाब
पंजाब का पहनावा शायद ही किसी को पता न हो। आज कल तो फिल्मों और गानो में भी इसकी बात होती है। पंजाब की महिलाएं सलवार-कमीज़ पहनती हैं। एक खास तरह से बनी हुई सलवार को ‘पटियाला सलवार’ कहते हैं। इसके साथ फुलकारी की चुन्नी को खासतौर से तवज्जो दी जाती है। पंजाब की जूतियां भी काफी प्रसिद्ध हैं।
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