‘हां’ शब्द बहुत पॉज़िटिव लगता है न और जब हम सामने वाले से ‘हां’ कहते हैं तो उसके चेहरे पर खुशी और उम्मीद नज़र आती है, लेकिन हर बार ‘हां’ कहने पर क्या आपके चेहरे पर भी खुशी रहती है? यकीनन नहीं, क्योंकि दूसरों के हर काम के लिए हां कहने का मतलब है कि आप खुद को महत्व नहीं दे रहे। इसलिए ज़रूरी है ‘ना’ कहना सीखना, ताकि आप बेकार के तनाव से बच सके। जीवन में ‘ना’ बोलना क्यों ज़रूरी है, जानिए इस लेख में।
ईमानदार बनाता है
कई बार आपका मन नहीं होता, लेकिन सामने वाले को दुख न पहुंचे सिर्फ इसलिए हां कह देते हैं, यानी आप अपने प्रति ईमानदार नहीं रहते। माना आपको किसी पार्टी के लिए इन्विटेशन आया, लेकिन उस इंसान के घर जाने का आपका मन नहीं है, तो अपने मन को मारकर इन्विटेशन स्वीकार करने से बेहतर है कि आप उन्हें विनम्रता से मना कर दें। ध्यान रहे आप ना भी विन्रमता से कहें ताकि सामने वाले को बुरा न लगे और आप अपने प्रति भी ईमानदार बने रहें।
मज़बूत बनाता है
जब आप किसी चीज़ के लिए ना कहते हैं, तो वह आपके आत्मविश्वास को दर्शाता है। बॉस आपको कोई ऐसा काम दे रहा है जो आपकी फील्ड का नहीं है, तो संकोच करके तनाव मोल लेने से बेहतर है कि आप ना कह दें। इससे आगे से वह आपको इस तरह का काम नहीं देगा और आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। ऐसी सिच्युएशन में ना कहने का अर्थ है कि आपने अपनी भावनाओं को अहमियत दी, जो बहुत ज़रूरी है।
समय को अहमियत देना
आपके दोस्त आपसे पार्टी में साथ चलने की ज़िद्द कर रहे हैं, लेकिन आपको कल के इंटरव्यू की तैयारी करनी है ऐसी सूरत में दोस्तों के खुश करने के लिए हां बोलना आपको भारी पड़ सकता है। ‘ना’ बोलकर दोस्तों की थोड़ी सी नाराज़गी मोल ले लीजिए क्योंकि यहां आपका समय बहुत महत्वपूर्ण है।
ना का मतलब दूसरी चीज़ों के लिए हां
आज आपने ऑफिस की पार्टी में जाने से इनकार कर दिया, तो ज़ाहिर है कि आपके पास ढेर सारा समय बचा होगा जिसमें आप वह सब कर सकते हैं जिसके लिए बाकी दिनों में आपके पास समय नहीं रहता। अपनी पसंद का संगीत सुनना, घूमना, बच्चों के साथ खेलना, खाना बनाना आदि। यानी एक काम के लिए ‘ना’ बोलना दूसरे काम के लिए ‘हां’ है, अगली बार ना बोलने पर गिल्टी फील मत करिएगा।
प्राथमिकताओं पर ध्यान दे पाएंगे
घर हो या ऑफिस जब काम के बीच में बार-बार कोई आपसे मदद मांगे या बीच में कोई और काम थमा दें, तो आप अपने मेन काम पर ध्यान नहीं दे पाते, जिससे उसे पूरा करने में ज़्यादा समय लग जाता है। बार-बार डिस्टर्बेंस होने से आप अपनी प्राथमिकता सूची पर भी ध्यान नहीं दे पाते, लेकिन जब आप बीच-बीच में होने वाली डिस्टर्बेंस को ‘ना’ कह देंगे तो आप ऐसा प्राथमिकताओं पर ध्यान दे पाएंगे।
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