प्रकृति से इतना प्यार कि खुद को ही नहीं अपने आपपास की सभी चीज़ों को हरे रंग में ढाल दिया। फिर चाहे बदन पर मौजूद कपड़े हो या फिर जगह। अपने इसी प्रकृति प्रेम के वजह से उन्हें ‘ग्रीन मैन’ कहा जाने लगा। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के विजयपाल बघेल की, जिन्होंने अपना पूरा जीवन प्रकृति के लिए समर्पित किया है।
बचपन की घटना ने बदला जीवन
बचपन में एक बार विजयपाल अपने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दादा दाताराम के साथ बाजार जा रहे थे। रास्ते में कुछ लोग गूलर का एक पेड़ काट रहे थे। गूलर के पेड़ से कुछ द्रव्य पदार्थ निकल रहा था। जब उन्होंने अपने दादा से इस द्रव के बहने का कारण पूछा, तो उन्होंने बताया कि पेड़ काटा जा रहा है, इसलिए उसके आंसू निकल रहे हैं। दादा की इस बात का विजयपाल पर बहुत गहरा असर पड़ा। वह उस पेड़ को बचाने की ज़िद करने लगे। दादा के बीच में आने के बाद लोगों ने पेड़ काटना बंद कर दिया। उस दिन के बाद से ही विजयपाल ने पेड़ों को बचाना अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया।
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कैसे पड़ा ग्रीन मैन का नाम?
विजयपाल अब तक करीब 10 लाख पेड़ों को कटने से बचा चुके हैं और देशभर में अनगिनत पौधे रोप चुके हैं। वर्ष 2000 में, वह यूनेस्को के बुलावे पर यूएस में पर्यावरण संरक्षण पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उस समय, तब के अमेरिकी उपराष्ट्रपति अल गोर ने विजयपाल को क्लाइमेट लीडर्स संगठन में शामिल कर ‘ग्रीन मैन ऑफ इंडिया’ से सम्मानित किया था।
पेड़ बचाने के लिए चलाए कई अभियान
विजयपाल ने देशभर में पेड़ बचाने के लिए कई अभियान शुरू किए, जैसेकि – मेरा वृक्ष योजना, ऑपरेशन ग्रीन, ग्लोबल ग्रीन मिशन, पेड़ लगाएं सेल्फी भेजें, मेरा पेड़-मेरी शान और मिशन सवा सौ करोड़ शामिल है। इसके अलावा हरित सत्याग्रह नाम से एक आंदोलन भी चला रहे हैं, जिसमें वह पेड़ों को भी एक जीवित प्राणी का दर्जा दिलाना चाहते हैं। विजयपाल का कहना कि इस तरह पेड़ों के अधिकार सुनिश्चित किए जा सकेंगे, जिससे पेड़ों की अवैध कटाई रोकी जा सकेगी।
बीजों वाली गुल्लक की कसम
विजयपाल हरियाली बचाने के साथ हर किसी से बीज गुल्लक भी बनवाते हैं। वह किसी के घर फल तभी खाते हैं, जब लोग बीज गुल्लक बनाने की कसम खाते हैं। इसके लिए किसी भी बेकार डिब्बे में फलों के बचे हिस्से व बीज इकट्ठे करने होते हैं। बाद में इन्हें पक्षियों को खिला दिया जाता है। इस गुल्लक का मकसद है कि पक्षियों के द्वारा बीजों को हर जगह फैलाना ताकि ज़्यादा से ज़्यादा पेड़ उग सके। वह कहते हैं कि इस गुल्लक में भविष्य के लिए ऑक्सीजन संजो रहे है।
अगर विजयपाल की तरह हर कोई खुशी के मौके पर एक पौधा भी लगाने का फैसला लेता है, तो वह दिन दूर नहीं जब धरती पर फिर से हरियाली छा जाएगी।
इमेज : फेसबुक
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