धान की खेती शायद आपने कई बार देखी होगी, लेकिन क्या कभी डिस्पोज़ेबल पेपर कप में धान उगते देखा है? उडुपी का एक 40 वर्षीय किसान अनोखे ढंग की खेती कर रहा है, जिसमें वह पेपर कप में धान उगा रहा है, उसकी खेती के अनोखे तरीके से हर कोई हैरान है।
मज़बूरी में निकाला तरीका
उडुपी के कुंदापुर गांव के विश्वनाथ गनीगा 15 सालों से खेती कर रहे हैं, लेकिन पिछले दो सालों से गांव के अन्य किसानों के साथ ही विश्वनाथ भी धान की खेती नहीं कर पा रहे थे और इसकी वजह थी नमक वाला पानी। दरअसल, झींगा की खेती के लिये राजयाडी नदी के पानी को गांव की तरफ मोड़ दिया जाता है, जिससे यह नमक वाला पानी धान की फसलों को खराब कर देता है।
ऐसे में विश्वनाथ ने अनोखी तरकीब निकालते हुए पेपर कप में धान की खेती शुरू की। खेती में एक समस्या मज़दूरों का न मिलना भी है। विश्वनाथ का कहना है कि आजकल खेती के लिए मज़दूर मिलना भी मुश्किल है, ऐसे में अपनी ज़रूरत भर का धान वह पेपर कप में उगा लेते हैं।
ऐसे करते हैं खेती
सबसे पहले मिट्टी में खाद मिलाकर कप में आधा भरा जाता है। फिर 6 से 7 धान के बीज डालकर ऊपर से मिट्टी डालकर पेपर कप को बारिश में रख दिया जाता है। 15 दिन के अंदर धान के पौधे निकल आते हैं। उसके बाद पेपर कप को जोते हुए खेत में डाला जाता है। आठ दिनों के अंदर पेपर कप गलकर खाद बन जाते हैं और पौधे जमीन में लग जाते हैं। इस तरीके से धान बोने के लिए ज़्यादा मज़दूरों की ज़रूरत नहीं पड़ती।
15 दिनों के बाद फिर से खाद डाला जाता है, जिससे पौधे थोड़े मोटे हो जाते हैं। पेपर कप में मिट्टी कहीं भी बैठकर भरी जा सकती है, बस इसे चूहों से बचाना पड़ता है। हज़ार गिलास को खेत में लगाने में सिर्फ आधे घंटे का समय लगता है और पूरे काम को एक से दो लोग मिलकर ही पूरा कर लेते हैं, जिससे मज़दूरी का खर्च बच जाता है।
पॉज़िटिव सोच से समस्या का समाधान
विश्वनाथ की पॉज़िटिव सोच से उन्हें पेपर कप में धान उगाने का आइडिया आया। यदि वह बस हालात को दोष देकर चुपचाप बैठे रहते, तो आज अपने लिए धान नहीं उगा पाते। मगर उन्होंने विपरीत हालात से हार मानने की बजाय उससे निपटने के तरीका सोचा और उन्हें समाधान मिल गया।
आप भी रखें सोच सही
– हमें भी किसी परिस्थिति में पॉज़िटिव बने रहना चाहिये।
– पॉज़िटिव सोच से मुश्किल से मुश्किल काम भी आसान हो जाता है।
– पॉज़िटिविटी आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करती है।
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